Kerala News: केरल के तटीय इलाकों को हर दिन समंदर निगल रहा है. संकट इतना बढ़ गया है कि लोगों को मजबूरन अपने घरों को छोड़ना पड़ रहा है. प्रदेश के 9 तटीय जिलों में जमीन कटाव का खतरा गंभीर रूप ले चुका है. नतीजतन, इन जिलों के करीब एक करोड़ से अधिक लोगों की आजीविका और घरों को कटाव का खतरा मंडरा रहा है. इस पर्यावरणीय संकट की सबसे अधिक मार मछुआरों पर पड़ी है. मछलियां तो पकड़ना दूर उनको नावों को खड़ा करने तक की जमीन नहीं मिल रही है.
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किन इलाकों पर मंडरा रहा खतरा
एक रिपोर्ट के अनुसार, केरल के 9 जिलों में तटीय किनारा दिन पर दिन सुकड़ता जा रहा है. वडानापिल्ली, अंबलप्पुझा, पुरक्कड़, एरियाड, कुझुपिल्ली, अझिकोड और चेलानम जैसे इलाकों में समुद्री किनारे खतरनाक कैटिगरी में पहुंच गए हैं. इन जगहों पर रहने वाले लोग अपने घरों को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. केरल का 590 किलोमीटर लंबा समुद्र का किनारा है, जिसमें 55% कटान से प्रभावित है. इंडियन नेशनल सेंटर फॉर ओशियन सर्विस (INCOIS) का कहना है कि केरल का 300 किलोमीटर समुद्र तट कटान से प्रभावित है. ऐसा होने के चलते कुछ हिस्सों में समुद्र तट गायब हो चुके हैं या गायब होने की कगार में हैं.
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तटों के सुकड़ने की क्या वजह?
केरल के तटीय इलाकों को सुकड़ने की वजह अरब सागर का गर्म होना बताई जा रही है. वहीं, इन इलाकों में रेत का अवैध खनन भी इसके पीछे की बड़ी वजह है. अरब सागर के गर्म होने से समंदर में प्रचंड लहरें उठती हैं और फिर बहुत तेज रफ्तार से किनारों से टकराती हैं. यही वजह कि केरल के तटीय इलाकों पर जमीन का कटाव बहुत ज्यादा बढ़ गई है. इस कारण यहां रहने वाले बड़ी तादाद में लोगों को विस्थापित होने के लिए मजबूर होना पड़ा.
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