Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मध्य प्रदेश के दो पत्रकारों की उस याचिका पर सुनवाई की, जिसमें उन्होंने भिंड जिले में चंबल नदी पर अवैध रेत खनन की रिपोर्टिंग के बाद पुलिस की ओर से कथित हमले और प्रताड़ना का आरोप लगाया था. पत्रकारों ने आरोप लगाया कि भिंड के एसपी के इशारे पर उनके साथ मारपीट और अभद्रता की गई.
अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने की मांगी अनुमति
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वारिशा फरासत ने दलील दी. अधिवक्ता फरासत ने कहा शीर्ष अदालत से कहा कि इस मामले में पूरी तरह से झूठे तथ्य अदालत के समक्ष रखे गए हैं और उन्हें कुछ अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने की अनुमति दी जाए. उन्होंने कहा कि इससे विपक्ष की कहानी पूरी तरह से झूठी साबित हो जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट ने पूछी बिना पुख्ता सबूत आने की वजह
इस पर न्यायमूर्ति मनमोहन ने कहा कि दो सप्ताह के लिए याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाएगी, ताकि वे इस दौरान संबंधित उच्च न्यायालय का रुख कर सकें. वहीं, न्यायमूर्ति पी. के. मिश्रा ने पूछा, “बिना पुख्ता सबूत के सीधे सुप्रीम कोर्ट क्यों आए हैं?”
बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार की ओर से अदालत को बताया गया कि पत्रकारों के खिलाफ गंभीर आरोप हैं.
हाईकोर्ट जाने को कहा, गिरफ्तारी पर लगाई रोक
सुनवाई के अंत में सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को फिलहाल खारिज करते हुए कहा कि आरोपों की गंभीरता को देखते हुए पत्रकारों को संबंधित हाई कोर्ट में याचिका दायर करने की छूट दी जाती है. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक याचिकाकर्ता उच्च न्यायालय नहीं जाते, तब तक उनकी गिरफ्तारी नहीं की जाएगी. इस आदेश से पत्रकारों को फिलहाल राहत मिली है, लेकिन उन्हें अब दो सप्ताह के भीतर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में अपनी याचिका दाखिल करनी होगी.
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