हीटवेव के बढ़ते खतरे के बीच सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को जारी किया नोटिस, दो सप्ताह के भीतर मांगा जवाब

Supreme Court: देश में हीटवेव के बढ़ते खतरे के बीच सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. दरअसल, शीर्ष अदालत ने ये नोटिस एक जनहित याचिका के जवाब में जारी किया है.

Supreme Court: देश में हीटवेव के बढ़ते खतरे के बीच सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. दरअसल, शीर्ष अदालत ने ये नोटिस एक जनहित याचिका के जवाब में जारी किया है.

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Suhel Khan
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sc 22 may

हीटवेव के बढ़ते खतरे के बीच सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को जारी किया नोटिस Photograph: (Social Media)

Supreme Court: देश में हीटवेव के बढ़ते खतरे के बीच सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. दरअसल, शीर्ष अदालत ने ये नोटिस एक जनहित याचिका के जवाब में जारी किया है. जिसमें कहा गया कि पिछले साल हीटवेट और गर्मी से संबंधित बीमारियों के चलते देशभर में 700 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई इस याचिका में केंद्र और राज्य सरकारों से हीटवेव प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय दिशानिर्देशों को सख्ती से लागू करने की मांग की गई है.

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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से दो सप्ताह में मांगा जवाब

भारत के मुख्य न्यायाधीष जस्टिस बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने गुरुवार को नोटिस जारी किया. ये नोटिस गृह मंत्रालय, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और अन्य को जारी किया गया है. साथ ही सभी से दो सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है. बता दें कि शीर्ष अदालत गुरुवार को पर्यावरण कार्यकर्ता विक्रांत तोंगड़ द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. उन्होंने अपनी याचिका में, 'पूर्वानुमान, गर्मी की चेतावनी जारी करने/पूर्व चेतावनी प्रणाली और चौबीसों घंटे निवारण हेल्पलाइन आदि के लिए सुविधाएं प्रदान करने के निर्देश देने की भी मांग की है.'

पिछले साल 700 से ज्यादा लोगों की हुई थी मौत

विक्रांत तोंगड़ की ओर से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वकील आकाश वशिष्ठ ने कहा कि, पिछले साल भीषण गर्मी के चलते 700 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. उन्होंने कहा कि बार-बार की गई भविष्यवाणियां में कहा गया कि हीट स्ट्रेस अधिक तीव्र होता जाएगा, जिसके चलते मौत का आंकड़ा बढ़ सकता है. अधिवक्ता वशिष्ठ ने कहा कि, 'पहले, भीषण गर्मी और लू की स्थिति उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत सहित तीन क्षेत्रों में रहती थी, लेकिन अब यह पूर्वी तट, पूर्व, उत्तर-पूर्व, प्रायद्वीपीय, दक्षिणी और दक्षिण-मध्य क्षेत्रों में फैल गई है और यह आईएमडी की एक रिपोर्ट में खुद कहा गया है.'

याचिका में इस बात पर भी जोर दिया गया है कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा जारी की गई कार्य योजना की तैयारी के लिए 2019 में राष्ट्रीय दिशानिर्देश जारी किए गए.  इसके बाद भी कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अभी तक अनिवार्य ग्रीष्म कार्य योजना को लागू नहीं किया. जिसमें आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 35 के तहत केंद्र की वैधानिक जिम्मेदारियों की भी बात की गई. जिसके तहत सरकार को आपदा प्रबंधन के लिए उचित उपाय करने की जरूरत होती है.

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