पतंजलि को SC से राहत, भ्रामक विज्ञापन मामले में IMA की याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने पारंपरिक चिकित्सा से जुड़े भ्रामक विज्ञापनों के दायर भारतीय चिकित्सा संघ यानी IMA की याचिका को खारिज कर दिया है. ये मामला तब आरंभ हुआ जब IMA ने पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

सुप्रीम कोर्ट ने पारंपरिक चिकित्सा से जुड़े भ्रामक विज्ञापनों के दायर भारतीय चिकित्सा संघ यानी IMA की याचिका को खारिज कर दिया है. ये मामला तब आरंभ हुआ जब IMA ने पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

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Mohit Saxena
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Supreme Court

Supreme Court (Social Media)

सुप्रीम कोर्ट ने पारंपरिक चिकित्सा से जुड़े भ्रामक विज्ञापनों के खिलाफ दायर भारतीय चिकित्सा संघ यानी IMA की याचिका को पूरी तरह से खारिज कर दिया है. यह मामला तब शुरू हुआ था जब IMA ने पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ कोर्ट का रूख किया था. आईएमए का कहना था कि पंतजलि के विज्ञापनों मे कथित तौर पर भ्रामक   दावे किए गए थे. आधुनिक चिकित्सा का अपमान किया गया था, इस मामले की एक अलग पृष्ठभूमि भी है.

बदलाव के बाद आवश्यकता नहीं रही

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आपको बता दें कि 1 जुलाई, 2024 को आयुष मंत्रालय (आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध और होम्योपैथी) ने औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 से जुड़े नियम में बदलाव किया. इस बदलाव के पहले तक कंपनियों को आयुर्वेदिक, सिद्ध या यूनानी दवाओं का विज्ञापन करने से पहले राज्य लाइसेंसिंग अधिकारियों से पूर्व अनुमोदन पाना जरूरी होता था. इस तरह से झूठे या बढ़ा-चढ़ाकर किए दावों पर रोक लगाई जा सकती है. मगर बदलाव के बाद अब इसकी आवश्यकता नहीं रही. 

कोर्ट ने क्या कहा 

अगस्त 2024 में ये केस जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस संदीप मेहता की एक अलग सर्वोच्च न्यायालय की पीठ के सामने आया. इस पीठ ने बदलाव पर रोक लगाई. इस तरह से अनुमोदन अस्थाई तौर पर जरुरी हो गया. मगर फिर जस्टिस के.वी.विश्वनाथन ने सवाल किया कि राज्य सरकार उस नियम को किस तरह से लागू कर सकता है जिसे केंद्र सरकार पहले ही हटा चुका है. इसके बाद जस्टिस बी.वी.नागरत्ना ने केस को बंद करने का सुझाव दिया. 

अदालत ने जानकारी दी कि ओर से किसी प्रावधान को हटाने के बाद उसे बहाल करने का अधिकार कोर्ट के पास नहीं है. इससे कोर्ट ने भ्रामक विज्ञापनों, पतंजलि के खिलाफ नियामक अधिकारियों की निष्क्रियता और पतंजलि के कर्ता-धर्ता–बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को कुछ निर्देश दिया था. कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही आरंभ की थी. इसे बाद में बंद कर दिया गया था.

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