Red Fort Blast: कभी इजरायल एंबेसी अटैक में हुआ था यूज, उसी स्टिकी बम से लाल किले पर हमले की आशंका

Red Fort Blast: शुरुआती जांच में स्टिकी बम के इस्तेमाल की आशंका जताई जा रही है. बताया जा रहा है कि यह विस्फोट चलती या खड़ी गाड़ी में हुआ, जिससे कई लोगों की मौके पर ही मौत हो गई.

Red Fort Blast: शुरुआती जांच में स्टिकी बम के इस्तेमाल की आशंका जताई जा रही है. बताया जा रहा है कि यह विस्फोट चलती या खड़ी गाड़ी में हुआ, जिससे कई लोगों की मौके पर ही मौत हो गई.

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Yashodhan.Sharma
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Delhi Sticky bomb attack

Delhi Sticky bomb attack possibility(picryl)

Red Fort Blast: दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास सोमवार शाम हुए भीषण धमाके ने राजधानी को दहला दिया. इस आतंकी हमले में अब तक 13 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 24 से अधिक घायल हैं, जिनमें कई की हालत गंभीर बताई जा रही है. सभी घायलों का इलाज एलएनजेपी अस्पताल में चल रहा है. धमाका सोमवार शाम करीब 6 बजकर 32 मिनट पर हुआ, जब एक कार रेड लाइट के पास खड़ी थी. विस्फोट के बाद आसपास खड़ी कई गाड़ियां आग की लपटों में घिर गईं.

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फायर ब्रिगेड को पहली कॉल शाम 6:55 पर मिली, जिसके बाद राहत और बचाव कार्य शुरू हुआ. जांच एजेंसियां इसे आतंकी हमला मान रही हैं और शुरुआती जांच में स्टिकी बम के इस्तेमाल की आशंका जताई जा रही है. बताया जा रहा है कि यह विस्फोट चलती या खड़ी गाड़ी में हुआ, जिससे कई लोगों की मौके पर ही मौत हो गई.

क्या होता है स्टिकी बम

स्टिकी बम दरअसल एक ऐसा विस्फोटक उपकरण होता है, जो आकार में छोटा लेकिन बेहद खतरनाक होता है. यह बम किसी भी धातु की सतह पर आसानी से चिपक जाता है, क्योंकि इसमें मैग्नेट लगा होता है. इसे टाइमर या रिमोट कंट्रोल के जरिए उड़ाया जा सकता है. इसकी कीमत महज दो हजार रुपये तक होती है और इसे बनाना व इस्तेमाल करना बेहद आसान है, इसलिए आतंकी संगठन अक्सर इसी का प्रयोग करते हैं. इस बम को ‘मैग्नेटिक बम’ भी कहा जाता है.

2012 में भी हुआ हमला

भारत में इससे पहले 2012 में ऐसा हमला हुआ था, जब दिल्ली में इजरायली दूतावास की कार पर बाइक सवार आतंकियों ने स्टिकी बम से हमला किया था. उस धमाके में दूतावास अधिकारी की पत्नी समेत चार लोग घायल हुए थे. दिल्ली पुलिस उस केस को अब तक सुलझा नहीं पाई है.

इतिहास देखें तो दूसरे विश्व युद्ध के दौरान भी स्टिकी बम का इस्तेमाल हुआ था. वहीं अफगानिस्तान और ईरान में भी पिछले कुछ सालों में इस बम से कई हमले किए गए. अफगानिस्तान में तो आतंकी बच्चों के जरिए ट्रैफिक सिग्नल पर खड़ी गाड़ियों पर यह बम चिपका देते थे और फिर दूर बैठकर मोबाइल से विस्फोट कर देते थे.

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