Ratan Tata Death Anniversary: रतन टाटा की पहली पुण्यतिथि पर पीएम मोदी ने भी किया याद, उठी भारत रत्न की मांग

Ratan Tata Death Anniversary: रतन टाटा का जीवन इस बात का प्रतीक है कि असली नेतृत्व धन या पद से नहीं, बल्कि सेवा और विनम्रता से मापा जाता है. जिस दौर में कॉर्पोरेट जगत अक्सर लालच और प्रतिस्पर्धा से घिरा है.

Ratan Tata Death Anniversary: रतन टाटा का जीवन इस बात का प्रतीक है कि असली नेतृत्व धन या पद से नहीं, बल्कि सेवा और विनम्रता से मापा जाता है. जिस दौर में कॉर्पोरेट जगत अक्सर लालच और प्रतिस्पर्धा से घिरा है.

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Yashodhan.Sharma
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Ratan Tata Death Anniversary

Ratan Tata Photograph: (Social)

RatanTata First Death Anniversary: भारत 9 अक्टूबर 2025 अपने महान उद्योगपति और समाजसेवी रतन टाटा की पहली पुण्यतिथि मना रहा है. देशभर में लोगों, जनप्रतिनिधियों, उद्योग जगत और सरकारी अधिकारियों ने उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त की और भारतीय उद्योग और समाजसेवा में उनके अमूल्य योगदान को याद किया.

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टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा का निधन 9 अक्टूबर 2024 को मुंबई में 86 वर्ष की आयु में हुआ था. उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने वैश्विक स्तर पर नई पहचान बनाई और कंपनी का कारोबार 128 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक तक पहुंचाया. वे अपने नैतिक नेतृत्व, मानवीय दृष्टिकोण और समाजसेवा की भावना के लिए जाने जाते थे.

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 भारत रत्न की उठी मांग

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और प्रह्लाद जोशी, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सहित कई प्रमुख नेताओं ने रतन टाटा को श्रद्धांजलि दी. झारखंड सरकार ने उनकी याद में गणतंत्र दिवस परेड 2025 में विशेष झांकी प्रस्तुत की. वहीं, सेंटर फॉर नरेंद्र मोदी स्टडीज ने रतन टाटा को मरणोपरांत भारत रत्न देने की औपचारिक सिफारिश की है.

टाटा समूह के चेयरमैन एन. चंद्रशेखरन ने आधिकारिक बयान में कहा कि रतन टाटा का कोई आम व्यक्तित्व नहीं था, उन्होंने सिर्फ टाटा समूह ही नहीं, बल्कि 'भारत के औद्योगिक ताने-बाने को भी आकार दिया.' प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि 'रतन टाटा का समर्पण और भारत के उत्थान के प्रति उनका जुनून अद्वितीय था.'

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 आने वाली पीढ़ियों के लिए बनेंगी प्रेरणा

रतन टाटा का जीवन इस बात का प्रतीक है कि असली नेतृत्व धन या पद से नहीं, बल्कि सेवा और विनम्रता से मापा जाता है. जिस दौर में कॉर्पोरेट जगत अक्सर लालच और प्रतिस्पर्धा से घिरा है, उस समय रतन टाटा की ईमानदारी, सहानुभूति और मानवता आने वाली पीढ़ियों के लिए एक दिशा सूचक है.

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