Ratan Tata Will: रतन टाटा की वसीयत में घरेलू स्टाफ के साथ ड्राइवरों के नाम संपत्ति, पूर्व कर्मचारी को मिला एक तिहाई हिस्सा

Ratan Tata Will: रतन टाटा की वसीयत को लेकर नई जानकारी सामने आई है. इस वसीयत में कई और नाम भी शामिल हैं. इसमें घरेलू स्टाफ और ड्राइवरों को लाखों रुपये मिलेंगे. 

Ratan Tata Will: रतन टाटा की वसीयत को लेकर नई जानकारी सामने आई है. इस वसीयत में कई और नाम भी शामिल हैं. इसमें घरेलू स्टाफ और ड्राइवरों को लाखों रुपये मिलेंगे. 

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Mohit Saxena
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Ratan Tata Will: रतन टाटा की वसीयत में फिर से नए नाम सामने आए हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दिग्‍गज उद्योगपति ने अपनी संपत्ति का बड़ा भाग परोपकार में दान किया है. यह करीब 3,800 करोड़ रुपये है. इस तरह तय हो सकेगा कि उनके दान की विरासत, उनके जाने के बाद भी चलती रहने वाली है. रिपोर्ट के अनुसार, Ratan Tata ने 23 फरवरी, 2022 को अपनी वसीयत तैयार कराई थी. इस वसीयत में परिवार के साथ करीबी दोस्तों और धर्मार्थ संस्थाओं के बीच संपत्ति बंटवारा किया गया. 

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रतन टाटा ने अपना बड़ा हिस्सा ट्रस्ट को समर्पित किया है. रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन और रतन टाटा एंडोमेंट ट्रंस्ट को यह आवंटन किया गया है. इस दौरान Tata Sons के शेयर भी शामिल हैं. वसीयत में टाटा की सचिव दिलनाज गिल्डर को 10 लाख रुपये मिलेंगे. इसके अलावा घरेलू स्‍टाफ और ड्राइवरों (Ratan Tata Staff and Driver) राजन शॉ एंड फैमिली और सुब्बैया कोनार को 50 लाख रुपये और 30 लाख रुपये मिलने वाले हैं.  

पूर्व कर्मचारी को एक तिहाई हिस्‍सा 

इसके अलावा टाटा के पूर्व कर्मचारी मोहिनी एम दत्ता को वित्तीय संपत्तियों का एक तिहाई हिस्सा मिलने वाला है. इसकी अनुमानित कीमत 800 करोड़ रुपये है. वहीं संपत्तियों में सौतेली बहनें शिरीन और डीनना जीजीभॉय को बराबरा का हिस्सा मिलने वाला है. उनके जुहू बंगले को भाई जिमी टाटा (82) के साथ सिमोन टाटा और नोएल टाटा (Noel Tata)  के साथ अन्य रिश्तेदारों के के बीच बांटा जाएगा. वहीं उन्होंने  अलीबाग की संपत्ति को करीबी दोस्त मेहली मिस्त्री के नाम की है. 

इसके अलावा रतन टाटा के पास विदेशों में भी संपत्ति है. इसकी कीमत 40 करोड़ के आसपास है. लग्जरी घड़ियों का कलेक्शन है. वसीयत में चांदी की वस्तुओं और चुनिंदा ज्‍वैलरी भी शामिल हैं. रतन टाटा की वसीयत अब बॉम्बे हाई कोर्ट में प्रोबेट के दौर से गुजर रही है. यह प्रामाणिकता की कानूनी प्रक्रिया है. इसमें छह माह का समय लग सकता है.

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