राजनाथ सिंह ने सेना कमांडरों के अहम सम्मेलन को किया संबोधित, सुरक्षा जैसे मुद्दों पर रहा फोकस

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सुखना कैंट में सेना कमांडरों के सम्मेलन को संबोधित किया और सीमा सुरक्षा, असामान्य युद्ध की चुनौतियों और भविष्य की रणनीतियों, विशेष रूप से लद्दाख और अरुणाचल में संवेदनशील स्थिति पर जोर दिया.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सुखना कैंट में सेना कमांडरों के सम्मेलन को संबोधित किया और सीमा सुरक्षा, असामान्य युद्ध की चुनौतियों और भविष्य की रणनीतियों, विशेष रूप से लद्दाख और अरुणाचल में संवेदनशील स्थिति पर जोर दिया.

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Ritu Sharma
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रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

Sukna Cantt In Darjeeling: शुक्रवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सुखना कैंट से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सेना कमांडरों की महत्वपूर्ण कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया. यह बैठक 2024 की आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस का हिस्सा थी, जिसमें राष्ट्रीय सुरक्षा और सीमा संबंधी मुद्दों पर गहन चर्चा की गई. राजनाथ सिंह को पहले गंगटोक में व्यक्तिगत रूप से शामिल होना था, लेकिन खराब मौसम के कारण उनका विमान सिलिगुड़ी लौट आया, जिसके बाद उन्होंने सुखना कैंट से वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से इस बैठक को संबोधित किया.

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सम्मेलन का उद्देश्य और प्रमुख मुद्दे

आपको बता दें कि इस कॉन्फ्रेंस का मुख्य उद्देश्य भारतीय सेना की वर्तमान ऑपरेशनल तैयारियों की समीक्षा करना और भविष्य की रणनीतियों पर विचार करना था. इसमें सीमा सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों, विशेषकर लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश के संवेदनशील क्षेत्रों पर विशेष ध्यान दिया गया. इन क्षेत्रों में भारतीय और चीनी सेना के बीच आए दिन होने वाले गतिरोध और तनावपूर्ण स्थिति पर गहन चर्चा की गई. रक्षा मंत्री ने अपने संबोधन में इन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हुए कहा कि इन समस्याओं से निपटने के लिए सतर्कता और तैयारी आवश्यक है.

असामान्य युद्ध और वैश्विक चुनौतियों पर ध्यान

वहीं आपको बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वर्तमान वैश्विक परिदृश्य के जटिल और अस्पष्ट हालात को रेखांकित किया, जो हर देश को प्रभावित कर रहे हैं. उन्होंने असामान्य और असममित युद्ध (जैसे हाइब्रिड युद्ध) के बढ़ते प्रभाव पर जोर दिया, जिसका उपयोग भविष्य के पारंपरिक युद्धों का हिस्सा होगा. उन्होंने इस तथ्य की ओर इशारा किया कि हाल ही में हुए कई वैश्विक संघर्षों से यह सिद्ध हो चुका है कि ऐसे युद्धों का हिस्सा बनना अपरिहार्य है. इसलिए, भारतीय सशस्त्र बलों को इस तरह के युद्ध के हर पहलू को ध्यान में रखते हुए रणनीति बनानी चाहिए. बता दें कि राजनाथ सिंह ने कहा, ''हमें वर्तमान और अतीत के वैश्विक संघर्षों से सीखते हुए संभावित नुकसान से बचने के लिए तैयार रहना चाहिए। अलर्ट रहें, नियमित रूप से आधुनिकता लाएं और विभिन्न परिस्थितियों के लिए लगातार तैयारी करें.''

लद्दाख और अरुणाचल में स्थिति पर विशेष चर्चा

साथ ही आपको बता दें कि सम्मेलन में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर व्याप्त संवेदनशील स्थिति, विशेष रूप से लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश में, की समीक्षा की गई. इन इलाकों में दोनों पक्षों के बीच बार-बार होने वाले गतिरोधों पर विस्तार से चर्चा की गई. रक्षा मंत्री ने सेना को इन मुद्दों से निपटने के लिए सतर्कता बरतने और आवश्यक उपायों को अपनाने के निर्देश दिए.

दो चरणों में हो रही है बैठक

बताते चले कि ये बैठक दो चरणों में आयोजित की जा रही है. पहला चरण 10-11 अक्टूबर 2024 को गंगटोक में संपन्न हुआ, जबकि दूसरा चरण 28-29 अक्टूबर 2024 को दिल्ली में आयोजित किया जाएगा. यह पहली बार है जब सेना कमांडरों की इस महत्वपूर्ण बैठक को एलएसी के करीब किसी स्थान पर आयोजित किया गया है.

इसके अलावा आपको बता दें कि इस बैठक का उद्देश्य सेना की वर्तमान तैयारियों की समीक्षा, महत्वपूर्ण रणनीतियों पर चर्चा और भविष्य के दिशा-निर्देशों को तय करना है. साथ ही भारतीय सेना में तकनीकी उन्नति और राष्ट्रीय सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया गया. यह कॉन्फ्रेंस भारतीय सेना की भविष्य की दिशा और राष्ट्रीय सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, खासकर ऐसे समय में जब देश की सीमाओं पर तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है.

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