संकट में इसबगोल उद्योग, जीएसटी विवाद के चलते प्रोसेसरों ने खरीद रोकने की दी चेतावनी

Psyllium industry in crisis : भारत के इसबगोल उद्योग में जीएसटी विवाद गहराने के बाद संकट खड़ा हो गया है. ऑल इंडिया इसबगोल प्रोसेसर्स एसोसिएशन ने 6 अक्टूबर से किसानों से बीज खरीद रोकने की चेतावनी दी है. प्रोसेसरों का कहना है कि अस्पष्ट जीएसटी नियमों के कारण उनका करोड़ों रुपये रिफंड में फंसा हुआ है, जिससे आर्थिक दबाव बढ़ रहा है.

Psyllium industry in crisis : भारत के इसबगोल उद्योग में जीएसटी विवाद गहराने के बाद संकट खड़ा हो गया है. ऑल इंडिया इसबगोल प्रोसेसर्स एसोसिएशन ने 6 अक्टूबर से किसानों से बीज खरीद रोकने की चेतावनी दी है. प्रोसेसरों का कहना है कि अस्पष्ट जीएसटी नियमों के कारण उनका करोड़ों रुपये रिफंड में फंसा हुआ है, जिससे आर्थिक दबाव बढ़ रहा है.

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Ravi Prashant
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Psyllium industry in crisis

इसबगोल उद्योग Photograph: (Meta AI)

Psyllium industry in crisis: देश के प्रमुख इसबगोल उद्योग में एक बार फिर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है. इसबगोल प्रोसेसरों ने घोषणा की है कि वे सोमवार यानी 6 अक्टूबर से किसानों से इसबगोल बीज की खरीद बंद कर देंगे. इसका कारण है जीएसटी (GST) को लेकर चल रहा विवाद जिसने उद्योग की पूंजी और कारोबार दोनों को प्रभावित किया है.

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₹3,500 करोड़ का होता है एक्सपोर्ट

इसबगोल या सायिलियम (Psyllium) एक तरह का डाइटरी फाइबर है, जो न केवल पेट की दवा और लैक्सेटिव के रूप में लोकप्रिय है, बल्कि ड्रिंक्स, बेकरी, आटा और सूप में थिकनिंग एजेंट की तरह भी इस्तेमाल किया जाता है. भारत हर साल लगभग ₹3,500 करोड़ का इसबगोल हस्क एक्सपोर्ट करता है, जिसमें से 60 से 70 प्रतिशत निर्यात अमेरिका को होता है. 

जीएसटी को लेकर बढ़ी मुश्किलें

ऑल इंडिया इसबगोल प्रोसेसर्स एसोसिएशन (IPA) के अनुसार, सरकार ने जीएसटी व्यवस्था में कई सुधारों का वादा किया था, लेकिन अब तक इसबगोल पर टैक्स की स्थिति स्पष्ट नहीं की गई. उद्योग का कहना है कि जीएसटी से पहले के वैट (VAT) सिस्टम में इसबगोल पर कोई टैक्स नहीं था, लेकिन 2016 में जीएसटी लागू होने के बाद से इसे टैक्स दायरे में लाया गया.

 फ्रेश इसबगोल पर नहीं लगता है जीएसटी

विवाद की जड़ यह है कि फ्रेश इसबगोल पर जीएसटी नहीं लगता, जबकि ड्राई इसबगोल पर 5% जीएसटी है. सरकार ने अब तक यह तय नहीं किया कि इसबगोल बीज किस श्रेणी में गिना जाएगा. इस अस्पष्टता के कारण प्रोसेसर विभागीय कार्रवाई से बचने के लिए बीजों पर जीएसटी भर देते हैं. हालांकि, बाद में यह टैक्स रिफंड के रूप में वापस आता है, लेकिन प्रक्रिया लंबी होने के कारण उनकी पूंजी महीनों तक फंसी रहती है.

सरकार से कर रहे हैं मांग

संगठन के अध्यक्ष अश्विन नायक ने बताया कि वे 2017 से इस विषय पर सरकार से स्पष्टता मांग रहे हैं. सरकार खुद जानती है कि इसबगोल पर जीएसटी से कोई वास्तविक राजस्व नहीं मिलता, क्योंकि अंत में यह पैसा वापस करना पड़ता है. लेकिन इतने लंबे समय तक रिफंड के इंतजार में उद्योग की आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है. 

अमेरिका से घटते ऑर्डर ने बढ़ाई चिंता

इसबगोल एक्सपोर्ट पर पहले ही दबाव बना हुआ है. अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप सरकार द्वारा लगाए गए अतिरिक्त टैरिफ के कारण वहां की कंपनियों ने अपने ऑर्डर या तो टाल दिए हैं या कम कर दिए हैं. नतीजा यह है कि भारत से इसबगोल का निर्यात धीमा पड़ गया है, जिससे किसानों और प्रोसेसर दोनों को नुकसान हो रहा है.

उत्पादन और व्यापार केंद्र

भारत में राजस्थान इसबगोल का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है, जो कुल उत्पादन का करीब 70 प्रतिशत हिस्सा देता है. वहीं गुजरात में इसकी सबसे बड़ी प्रोसेसिंग होती है, खासकर उंझा (Unjha) शहर को इसबगोल का मुख्य व्यापारिक केंद्र माना जाता है, जहाँ से देश का लगभग 80 प्रतिशत इसबगोल व्यापार होता है.

उद्योग की चेतावनी

उद्योग संगठनों का कहना है कि अगर सरकार जल्द स्पष्ट दिशा-निर्देश नहीं देती और टैक्स व्यवस्था में राहत नहीं देती, तो वे इसबगोल बीज की खरीद पूरी तरह रोक देंगे. इसका सीधा असर किसानों, प्रोसेसरों और निर्यातकों सभी पर पड़ेगा.

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