विजय और टीवीके नेताओं पर एक्शन, हादसे से पहले पुलिस ने दी थी चेतावनी, जानें कैसे हुआ ये सबकुछ

तमिलनाडु के करूर में 27 सितंबर की रात अभिनेता और टीवीके (तमिऴगगा विडुथलाई काची) प्रमुख विजय की चुनावी रैली में हुए भीषण हादसे ने पूरे प्रदेश को सोचने पर मजबूर कर दिया है. इस घटना को लेकर पुलिस ने विजय समेत कई नेताओं पर कार्रवाई की है.

तमिलनाडु के करूर में 27 सितंबर की रात अभिनेता और टीवीके (तमिऴगगा विडुथलाई काची) प्रमुख विजय की चुनावी रैली में हुए भीषण हादसे ने पूरे प्रदेश को सोचने पर मजबूर कर दिया है. इस घटना को लेकर पुलिस ने विजय समेत कई नेताओं पर कार्रवाई की है.

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Ravi Prashant
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तमिलनाडु भगदड़ की कहानी Photograph: (ANI)

तमिलनाडु के करूर में 27 सितंबर की रात अभिनेता और टीवीके (तमिऴगगा विडुथलाई काची) प्रमुख विजय की चुनावी रैली में हुए भीषण हादसे ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया है. इस भगदड़ में 41 लोगों की मौत हो गई, जबकि 80 से ज्यादा लोग घायल हुए. पुलिस ने इस मामले में विजय और उनकी पार्टी के तीन शीर्ष नेताओं को जिम्मेदार मानते हुए एफआईआर दर्ज की है.

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एफआईआर में क्या है?

पुलिस ने टीवीके के जिला सचिव मथियाझगन, राज्य महासचिव बुशी आनंद और राज्य संयुक्त सचिव सीटीआर निर्मल कुमार के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 105, 110, 125(b), 223 और तमिलनाडु सार्वजनिक संपत्ति अधिनियम की धारा 3 के तहत मामला दर्ज किया है.

एफआईआर के मुताबिक, विजय की रैली के लिए प्रशासन ने 11 शर्तें तय की थीं और सुरक्षा के लिए 500 पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे. लेकिन जैसे ही मीडिया में विजय के दोपहर 12 बजे रैली में आने की घोषणा हुई, सुबह 10 बजे से ही भीड़ उमड़ने लगी. जिला सचिव मथियाझगन ने केवल 10,000 लोगों की अनुमति ली थी, मगर स्थल पर 25,000 से ज्यादा लोग आ गए. यानी कैपेसिटी से अधिक भीड़ उस जगह पर आ गई. 

जानबूझकर की गई देरी?

एफआईआर में कहा गया है कि विजय शाम 4:45 बजे करुर जिले की सीमा पर पहुंच गए थे, लेकिन उन्होंने रैली स्थल पर आने में जानबूझकर देरी की और बिना अनुमति के रोडशो भी निकाला. इससे भीड़ लगातार बढ़ती गई.

पुलिस अधिकारियों ने टीवीके नेताओं को चेताया था कि स्थिति बेकाबू हो रही है और दम घुटने या अन्य नुकसान का खतरा है. लेकिन नेताओं ने चेतावनियों को अनसुना कर दिया. भीड़ में लोग पेड़ों की डालियों और दुकानों के शेड पर चढ़ गए. अधिक वजन से ये ढह गए और लोग नीचे गिरकर दब गए. कई लोग दम घुटने और डिहाइड्रेशन से मौत का शिकार हो गए.

तय समय को किया क्रॉस

एफआईआर में यह भी दर्ज है कि विजय को कार्यक्रम के लिए दोपहर 3 बजे से रात 10 बजे तक की अनुमति मिली थी, लेकिन उन्होंने सीमा लांघ दी और चार घंटे की देरी से पहुंचे. एफआईआर का दावा है कि यह देरी भीड़ जुटाने और राजनीतिक प्रभाव दिखाने की रणनीति थी.

बेहोश होकर गिरने लगे लोग

लंबे इंतजार और भीषण गर्मी के कारण लोग घंटों धूप में खड़े रहे. कई समर्थक बेहोश होकर गिरने लगे. हालात बेकाबू होते ही भगदड़ मच गई, जिसमें 41 लोगों की जान चली गई और 80 से ज्यादा घायल हुए.

यह हादसा अब सिर्फ एक राजनीतिक रैली का मामला नहीं रहा, बल्कि कानूनी जिम्मेदारी और लापरवाही पर गंभीर सवाल खड़े कर रहा है. विजय और टीवीके नेताओं पर दर्ज एफआईआर से आने वाले दिनों में तमिलनाडु की राजनीति में भूचाल आना तय माना जा रहा है.

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