Plastic Ban: क्या प्लास्टिक फूलों को बैन करने की हो रही तैयारी', बॉम्बे HC ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब

बॉम्बे हाईकोर्ट की खंडपीठ ने केंद्र सरकार से सवाल पूछा कि सरकार ने प्लास्टिक के फूल प्रतिबंधित सामानों की सूची में क्यों नहीं हैं. कोर्ट ने इस केस में दो हफ्ते के अंदर जवाब देने को कहा है. 

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Mohit Saxena
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plastic flower (social media)

प्लास्टिक बैन के केस में बॉम्बे हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से बड़ा सवाल किया है. उसने पूछा कि क्या प्लास्टिक के फूलों को प्रतिबंधित लिस्ट में शामिल किया गया है या नहीं. मुख्य न्यायधीश अलोक अराधे और न्यायमूर्ति भागती डांगरे की खंडपीठ ने पूछा कि क्या केंद्र को ऐसा लगता है कि प्लास्टिक के फूलों को रिसाइकिल किया जा सकता है. ये क्या बायोडिग्रेडेबल हैं? हाईकोर्ट ग्रोवर्स फ्लावर काउंसिल ऑफ इंडिया (GFCI) की ओर दायर एक याचिका पर सुनवाई हो रही थी. याचिका में केंद्र को प्लास्टिक के फूलों के उपयोग पर रोक लगाने का निर्देश देने की मांग की गई थी.

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फूल प्रतिबंधित वस्तुओं की सूची में नहीं

कोर्ट ने कहा कि क्या केंद्र सरकार को इस बात पर यकीन है कि प्लास्टिक के फूलों को रिसाइकिल किया जा सकता है. ये क्या बायोडिग्रेडेबल हैं? अदालत ने केंद्र के हलफनामे का हवाल दिया. इसमें कहा गया था कि ये फूल प्रतिबंधित वस्तुओं की सूची में नहीं हैं. इस पर पीठ ने केंद्र सरकार की ओर से जारी एक अधिसूचना को सामने रखा जिसमें कहा गया था कि प्लास्टिक को रिसाइकिल नहीं किया जा सकता है. यह बायोडिग्रेडेबल नहीं हैं. ये पूरी तरह से प्रतिबंधित हैं. 

जीएफसीआई का दावा 

याचिका दाखिल करने वाले संगठन जीएफसीआई का दावा है कि सजावट के दौरान उपयोग किए गए प्लास्टिक के फूलों की अधिकतम मोटाई आमतौर पर 30 माइक्रोन तक होती है. महाराष्ट्र सरकार की लगभग सभी अधिसूचनाओं में 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले एकल-उपयोग प्लास्टिक के सामानों के उत्पादन, भंडारण, बंटवारे और बिक्री पर रोक लगाई गई है. इसमें प्लास्टिक के फूलों की जानकारी नहीं है.

ऐसे में सरकार को 100 माइक्रोन से कम मोटाई वाले प्लास्टिक के फूलों पर रोक लगानी चाहिए. याचिकाकर्ता की वेबसाइट पर जीएफसीआई को लेकर जानकारी दी गई है. यह स्वतंत्र उत्पादकों, सजावटी पौधों के निर्यातकों, पुष्प विक्रेताओं, विवाह और ऐसे अन्य समारोह में सजावटी काम करने वाले लाभार्थियों का संगठन है. 

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