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पंतजलि न्यूज Photograph: (X)
सोशल मीडिया पर जारी एक वीडियो में आचार्य बालकृष्ण ने पतंजलि के डेयरी नेटवर्क को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है. उन्होंने बताया कि पतंजलि के पास बड़ी संख्या में गायें हैं, जिनका स्रोत देश के कई राज्यों में फैला हुआ है. खास तौर पर कर्नाटक, महाराष्ट्र और राजस्थान से सबसे ज्यादा गायें आती हैं. आचार्य बालकृष्ण के अनुसार, इन राज्यों में पतंजलि दो स्तरों पर काम करती है. पहला, स्थानीय स्तर पर दूध की खरीद और दूसरा, बड़े पैमाने पर स्टोरेज और प्रोसेसिंग.
राजस्थान में बड़ी डेयरी है
उन्होंने बताया कि राजस्थान में पतंजलि की एक विशाल डेयरी यूनिट है, जहां रोजाना हजारों लीटर दूध पहुंचता है. इस दूध को पहले मक्खन और दही बनाने की प्रक्रिया से गुजारा जाता है. इसके बाद पारंपरिक तरीके से मक्खन से शुद्ध घी तैयार किया जाता है. उनका दावा है कि हर चरण में गुणवत्ता और शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है. इसी वजह से पतंजलि का घी देश में सबसे ज्यादा बिकने वाले ब्रांड्स में शामिल है. लोगों का भरोसा भी इसे लगातार मजबूत बनाता है.
वीडियो में आचार्य बालकृष्ण ने यह भी कहा कि पतंजलि केवल डेयरी उत्पाद नहीं बेचती, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था और पाशु-पालन को मजबूती देने के लिए इनके साथ साझेदारी भी करती है. स्थानीय स्तर पर हजारों लोग दूध कलेक्शन और प्रोसेसिंग सिस्टम से जुड़े हुए हैं.
पतंजलि की कैसे पड़ी नींव?
पतंजलि आयुर्वेद की स्थापना 2006 में योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने की थी. कंपनी ने शुरू में आयुर्वेदिक दवाओं और हेल्थ प्रोडक्ट्स से काम शुरू किया, लेकिन बाद में FMCG सेक्टर में कदम रखते ही तेजी से विस्तार किया. आज पतंजलि खाद्य सामग्री, डेयरी, पर्सनल केयर और आयुर्वेदिक उत्पादों का बड़ा ब्रांड बन गई है.
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