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META CEO Mark Zuckerberg
META को भारत की संसदीय समिति मानहानि का समन भेजेगी. समन META सीईओ मार्क जुकरबर्ग के उस बयान को लेकर भेजा जाएगा, जिसमें उन्होंने कहा था कि कोविड में धीमे रेस्पॉन्स के कारण मोदी सरकार हार गई. भाजपा सांसद और कम्युनिकेशन-इन्फर्मेशन टेक्नोलॉजी की स्टैंडिंग कमेटी के अध्यक्ष निशिकांत दुबे ने मंगलवार को जुकरबर्ग के बयान पर प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि गलत जानकारी फैलाने के लिए META को माफी मांगनी चाहिए.
देश की छवि इससे खराब होती है
लोकसभा सांसद दुबे ने कहा कि हमारी संसदीय समिति गलत जानकारी फैलाने के आरोप में मेटा को बुलाएगी. लोकतांत्रित देश के बारे में गलत जानकारी देना, उस देश की छवि को खराब करता है. भारतीय संसद और भारतीयों से मेटा को माफी मांगनी चाहिए.
मेरी कमिटि इस ग़लत जानकारी के लिए @Meta को बुलाएगी । किसी भी लोकतांत्रिक देश की ग़लत जानकारी देश की छवि को धूमिल करती है । इस गलती के लिए भारतीय संसद से तथा यहाँ की जनता से उस संस्था को माफ़ी माँगनी पड़ेगी https://t.co/HulRl1LF4z
— Dr Nishikant Dubey (@nishikant_dubey) January 14, 2025
क्या बोले आईटी मंत्री
आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत के आम चुनावों में 64 करोड़ लोग शामिल हुए थे. भारतीयों ने पीएम मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए पर भरोसा जताया. जुकरबर्ग का दावा तथ्यात्मक रूप से बिल्कुल गलत है. जुकरबर्ग को तथ्यों और विश्वसनीयता का ध्यान रखना चाहिए.
As the world’s largest democracy, India conducted the 2024 elections with over 640 million voters. People of India reaffirmed their trust in NDA led by PM @narendramodi Ji’s leadership.
— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) January 13, 2025
Mr. Zuckerberg’s claim that most incumbent governments, including India in 2024 elections,…
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क्या है पूरा मामला
सीईओ जुकरबर्ग 10 जनवरी को एक पॉडकास्ट में गए थे. इस दौरान, उन्होंने कहा था कि साल 2024 दुनिया के लिए उथल-पुथल भरा रहा. 2024 एक बड़ा चुनावी साल था. भारत सहित कई देशों में चुनाव हुए. कोरोना के बाद हुए चुनावों में भारत सहित दुनिया के कई देशों की सरकार गिर गई. ये सरकारों के प्रति जनता का अविश्वास दिखाता है. पूरे साल कोई न कोई वैश्विक घटना हुई. जैसे- मुद्रास्फीति, कोराना, आर्थिक नीतियों का फर्क चुनाव पर पड़ा. लोगों की नाराजगी और गुस्से के कारण विश्व भर के चुनाव परिणाम प्रभावित हुए.