पाकिस्तान ने अपनी अंतर्राष्ट्रीय छवि सुधारने के लिए एक बहुत बड़ा कदम उठाया है, जैसे कि जब किसी ने बर्तन धोने के बाद सिर धोने का तरीका समझ लिया हो. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ऐलान किया है कि पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (PPP) के चेयरमैन बिलावल भुट्टो जर्दारी को "वैश्विक शांति मिशन" का नेतृत्व सौंपा जाएगा. जी हां, वही बिलावल जिनका नाम सुनते ही पूरी दुनिया में शांति की नहीं, बल्कि उन पर बने मीम्स को सर्च करने लगती है.
बिलावर भुट्टो को मिली ये जिम्मेदारी
बिलावल भुट्टो ने फेसबुक पर इस मिशन की जिम्मेदारी स्वीकार करते हुए लिखा, "आज मुझे प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से संपर्क किया गया, जिन्होंने मुझसे पाकिस्तान का शांति संदेश दुनिया के मंचों पर पहुंचाने के लिए नेतृत्व करने का अनुरोध किया." ऐसा लगता है जैसे पाकिस्तान ने दुनिया को यह संदेश देना शुरू कर दिया हो, "हम आतंकवाद का नहीं, शांति का समर्थन करते हैं!" खैर, अब देखना यह है कि शांति के इस संदेश को कितने लोग हंसी में उड़ाते हैं और कितने लोग इसे गंभीरता से लेते हैं.
चॉकलेटी मुस्कान से देंगे शांति संदेश
बिलावल भुट्टो की अंग्रेजी और पश्चिमी शिक्षा के कारण पाकिस्तान को उम्मीद है कि वह इस मिशन में सफलता पा सकते हैं, लेकिन यह भी तो सवाल है कि क्या पश्चिमी दुनिया ने कभी उन "मिशनों" को गंभीरता से लिया है, जिनके चेहरे में चॉकलेटी मुस्कान और "मैं विदेश में पढ़ा हूं" की सनक हो.
विरासत के कारण मिली जिम्मेदारी
पाकिस्तानी गर्वमेंट का मानना है कि बिलावल भुट्टो के परिवार की कूटनीतिक विरासत उन्हें इस मिशन के लिए आदर्श उम्मीदवार बनाती है. लगता है पाकिस्तान की सेना ने इस रणनीति के तहत यह फैसला लिया है कि "जब सारे तरीके फेल हो जाएं, तो परिवार की कूटनीतिक विरासत को इस्तेमाल कर लो." यह कोई और नहीं, बल्कि वह परिवार है जिसके सदस्य शांति के नाम पर कभी किसी संकट का हल नहीं निकाल पाए, लेकिन अब शायद कुछ चमत्कार हो जाए.
आतंक है टाइपो एरर
पाकिस्तान का उद्देश्य इस मिशन के जरिए खुद को शांति और सुरक्षा का प्रतीक बनाना है, न कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला देश. यह देखकर तो लगता है जैसे पाकिस्तान ने शांति को लेकर कोई नई किताब लिखी है, जिसमें आतंकवाद को बस एक "टाइपो" माना गया है.
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