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क्या है ऑनलाइन गेमिंग बिल? Photograph: (NN/META AI)
लोकसभा में बुधवार को “प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल, 2025” पास कर दिया गया है. इस कानून का उद्देश्य देश में ई-स्पोर्ट्स और सुरक्षित सोशल गेम्स को प्रोत्साहन देना है. साथ ही, यह बिल ऑनलाइन जुए, बेटिंग और पैसों वाले गेम्स पर पूरी तरह रोक लगाता है. सरकार का कहना है कि यह कदम युवाओं को लत, आर्थिक नुकसान और सुरक्षा खतरों से बचाने के लिए जरूरी है.
क्या है ये बिल?
इस बिल के तहत ई-स्पोर्ट्स को अब एक वैलिड गेम का दर्जा मिलेगा. स्पोर्ट्स मंत्रालय इसकी गाइडलाइन बनाएगा, ट्रेनिंग और रिसर्च सेंटर खोलेगा और जागरूकता अभियान चलाएगा. इसके अलावा ऐसे सोशल और शैक्षिक गेम्स को भी बढ़ावा दिया जाएगा, जो बच्चों और युवाओं के लिए सुरक्षित हों और जिनसे कौशल, संस्कृति और डिजिटल लिटरेसी को मजबूती मिले.
क्या होगा सजा और जुर्माना?
सरकार ने क्लियर कर दिया है कि अब देश में किसी भी तरह का ऑनलाइन जुआ, सट्टेबाजी या पैसों वाले गेम्स नहीं चलेंगे. अगर कोई ऐसे गेम ऑफर करता है या उनका एड करता है, तो उसके ऊपर सख्त कार्रवाई की जाएगी. इस कानून के तहत तीन साल तक की जेल और करोड़ों रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है. बार-बार गलती करने वालों को और भी बड़ी सजा का सामना करना पड़ेगा.
सरकार ने किया दावा
सरकार का मानना है कि इस कदम से भारत को गेमिंग हब बनाने का मौका मिलेगा, युवाओं को स्किल-बेस्ड गेमिंग और ई-स्पोर्ट्स का फायदा होगा और परिवारों को ऑनलाइन लत और आर्थिक नुकसान से सुरक्षा मिलेगी.
विपक्ष ने उठाया सवाल
हालांकि विपक्ष का कहना है कि यह लीगल इंडस्ट्री और नौकरियों के लिए खतरा बन सकता है. कांग्रेस नेताओं ने तर्क दिया कि इस फैसले से भारत को हर साल करीब 20,000 करोड़ रुपये टैक्स और जीएसटी का नुकसान होगा. इतना ही नहीं, लगभग 2,000 गेमिंग स्टार्टअप्स और लाखों नौकरियां भी प्रभावित हो सकती हैं.
विपक्ष का यह भी कहना है कि पूरी तरह बैन लगाने से लोग विदेशी और गैर-कानूनी प्लेटफॉर्म्स की ओर चले जाएंगे, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा और मनी लॉन्ड्रिंग का खतरा और बढ़ जाएगा.
कुल मिलाकर, सरकार इसे युवाओं की सुरक्षा और जिम्मेदार गेमिंग का कदम बता रही है, जबकि विपक्ष इसे जल्दबाजी और रोजगार पर चोट मान रहा है. अब देखना होगा कि आने वाले समय में यह कानून भारत के गेमिंग उद्योग और डिजिटल अर्थव्यवस्था पर कैसा असर डालता है.
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