शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार ले सकती है बड़ा फैसला, इस विधेयक पर आम सहमति बनाने की तैयारी

 One Nation-One Election: केंद्र सरकार जल्द संसद में नया विधेयक पेश करेगी. शीतकालीन सत्र में इस बिल पर आम सह​मति बनाने की कोशिश होगी. 

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Mohit Saxena
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one nation one election (social media)

One Nation-One Election: शीतकालीन सत्र आने वाला है. ऐसे में केंद्र सरकार 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' विधेयक संसद में पेश कर सकती है. मीडिया रिपोर्ट की मानें तो सरकार ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है. आपको बता दें कि कैबिनेट ने एक देश एक चुनाव पर रामनाथ कोविंद समिति की रिपोर्ट को पहली की मजूंरी दे रखी है. अब सरकार विधेयक पर आम सहमति बनाने में जुट चुकी है. 

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विधेयक को जल्द पेश करेगी सरकार 

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सरकार अब विधेयक पर आम सहमति बनाने की कोशिश में है. इसके साथ व्यापक चर्चा को लेकर संयुक्त संसदीय समिति या जेपीसी के पास भेजगी. आपको बता दें कि इस विधेयक को लेकर जेपीसी में चर्चा हो सकती है. इसमें सभी राजनीतिक दल के प्रतिनिधी चर्चा करेंगे. इस प्रक्रिया में अन्य हितधारकों को शामिल करने की तैयारी की है. इसके साथ देश में तमाम बुद्धिजीवियों के साथ सभी राज्य विधानसभाओं के अध्यक्षों को बुलाने की तैयारी है. इसमें आम लोगों की राय ली जाएगी. 

आसान नहीं वन नेशन वन इलेक्शन की राह

केंद्र सरकार शुरू से ही एक राष्ट्र के पक्ष में हमेशा से रही है. मगर विपक्ष हमेशा से विरोध करता रहा है. ऐसे में सरकार के लिए मौजूदा व्यवस्था बदलना बेहद कठिन है.आम सहमति बनाने को लेकर कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है.देश में एक राष्ट्र एक चुनाव को लागू करने को लेकर संविधान में संशोधन करने को लेकर करीब 6 विधेयक लाने होंगे. इनको पारित कराने के लिए दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता है. 

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मौजूदा हालात में दोनों सदनों के अंदर एनडीए के पास मालूमी बहुमत है. ऐसे में विधेयक को पास कराना बेहद कठिन होगा. इसके लिए सरकार को दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी. मौजूदा हालात को देखें तो एनडीए के पास 112 और विपक्षी दलों के पास 85 सीटें हैं. वहीं करीब दो तिहाई बहुमत पाने के लिए 164 वोटों की जरूरत होगी. 

दूसरी ओर लोकसभा में एनडीए के पास 292 सीटें मौजूद हैं. वहीं लोकसभा में तो तिहाई बहुमत के आंकड़े को प्राप्त करने के लिए 364 की जरूर होती है. 

जानें क्या है सरकार का तर्क 

सरकार का तर्क है कि एक देश एक चुनाव होने से देश को समय, धन और पैसे की बर्बादी से बचाया जा सकता है. केंद्र की एनडीए सरकार का शुरुआत से यह मानना रहा है कि इस तरह से देश के रिसोर्सेस को बचाया जा सकता है. 

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