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नक्सल विरोधी अभियान में लगी सुरक्षा एजेंसियों को बड़ी कामयाबी मिली है. देश के सबसे कुख्यात और सबसे ज्यादा वांछित नक्सली कमांडरों में शामिल माडवी हिडमा को आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम जिले के मरेडपल्ली में आज (18 नवंबर) सुबह हुई मुठभेड़ में मार गिराया गया है. उसपर 1 करोड़ रुपए का इनाम था. बस्तर के आईजी सुंदरराज पी ने इसकी पुष्टि की है. आपको बता दें कि हिडमा पर सैकड़ों जवानों की हत्या, दर्जनों बड़े हमलों की साजिश और कई राज्यों में खून-खराबे की लंबी कहानी दर्ज है. पुलिस ने इस मुठभेड़ में हिडमा के साथ उसकी दूसरी पत्नी राजे उर्फ राजक्का समेत छह नक्सलियों को ढेर किया है.
हिडमा का नाम सुनते ही सुरक्षा बल सतर्क हो जाते थे. वह छत्तीसगढ़, ओडिशा, महाराष्ट्र और तेलंगाना के घने जंगलों को अपने सुरक्षित ठिकानों की तरह इस्तेमाल करता था. घात लगाकर हमला करना, अचानक घेराबंदी कर जवानों पर गोलीबारी करना उसकी खास रणनीतियां थीं. झीरम घाटी (2013) और बीजापुर (2021) जैसे देश के सबसे बड़े नक्सली हमलों का मास्टरमाइंड भी वही माना जाता है.
कौन था माडवी हिडमा?
हिडमा का जन्म 1981 में छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के पूवर्ति गांव में हुआ था. उसका असली नाम संतोष था, लेकिन नक्सल संगठन में शामिल होने के बाद उसे ‘हिडमा’ नाम मिला. साल 1996 में मात्र 16 वर्ष की उम्र में वह नक्सल संगठन से जुड़ गया. दुबला-पतला लेकिन बेहद फुर्तीला और तेज दिमाग वाला हिडमा जल्द ही नक्सल ऑपरेशनों का अहम हिस्सा बन गया.
नक्सलियों के अपने शिक्षा और सांस्कृतिक प्रशिक्षण सिस्टम में हिडमा ने पढ़ना-लिखना, गाना-बजाना और संगठन चलाने तक का प्रशिक्षण पाया. प्रशिक्षण के बाद उसकी पहली पोस्टिंग महाराष्ट्र के गढ़चिरौली क्षेत्र में की गई.
हिडमा पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (PLGA) बटालियन-1 का प्रमुख था, जिसे नक्सलियों की सबसे खतरनाक इकाई कहा जाता है. इतना ही नहीं, वह CPI (माओवादी) की 21 सदस्यीय सेंट्रल कमेटी का भी हिस्सा था और बस्तर इलाके से इस कमेटी में शामिल होने वाला एकमात्र आदिवासी सदस्य था.
इन घातक हमलों का मास्टरमाइंड था हिडमा
रिकॉर्ड के मुताबिक, हिडमा अब तक 26 से अधिक बड़े नक्सली हमलों में सीधे तौर पर शामिल रहा है. इनमें प्रमुख हैं-
2010 दंतेवाड़ा हमला:- 76 सीआरपीएफ जवान शहीद
2013 झीरम घाटी नरसंहार:- 27 लोग मारे गए, जिसमें शीर्ष कांग्रेसी नेता शामिल
2021 सुकमा-बीजापुर मुठभेड़:- 22 जवान शहीद
2017 बुर्कापाल हमला:- CRPF के 24 जवानों की हत्या
इन वारदातों के बाद नक्सल संगठन में हिडमा की हैसियत लगातार बढ़ती गई और 2019 में रमन्ना की मौत के बाद वह नक्सलियों का टॉप कमांडर बन गया.
पहचान छुपाने में था माहिर
हिडमा अपनी पहचान बदलने में माहिर था. कई बार वह पुलिस और सुरक्षा बलों के सामने से गुजर गया, लेकिन पहचान ज्ञात न होने के कारण वह बच निकलता था. नक्सली संगठन में भी उससे मिलने की अनुमति चुनिंदा लोगों को ही थी. वह हमेशा घने सुरक्षा घेरे में रहता था.
‘लेडी कमांडर’ सुजाता से हिडमा ने लिया था प्रशिक्षण
हिडमा को हथियार और हमले की तकनीक सिखाने वाली उसकी सहयोगी सुजाता थी, जिसे 2024 में तेलंगाना से गिरफ्तार किया गया था. वह ‘लेडी वीरप्पन’ के नाम से मशहूर थी और कई बड़े हमलों की साजिश में शामिल रही.
आखिरकार वर्षों की तलाश और कई अभियानों के बाद सुरक्षाबलों ने हिडमा को ढेर कर दिया. यह नक्सल विरोधी अभियान की सबसे बड़ी सफलताओं में से एक मानी जा रही है.
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