लाल किले से PM मोदी का पाकिस्तान पर सीधा अटैक, “खून और पानी साथ नहीं बह सकते”

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से पाकिस्तान को सीधे तौर पर नसीहत दी. पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने तय कर लिया है कि खून और पानी साथ नहीं बह सकते.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से पाकिस्तान को सीधे तौर पर नसीहत दी. पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने तय कर लिया है कि खून और पानी साथ नहीं बह सकते.

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Ravi Prashant
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पीएम नरेंद्र मोदी ऑन इंडस वाटर ट्रीटी Photograph: (YT/NARENDRA MODI)

देश की राजधानी दिल्ली के लाल किले से 79वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के साथ 1960 में हुई सिंधु जल संधि को अन्यायपूर्ण और एकतरफा करार दिया. उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि अब भारत अपने हिस्से के पानी को दुश्मन के खेतों में नहीं जाने देगा.

अब हिसाब चुकाना होगा

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पीएम मोदी ने कहा कि भारत ने तय कर लिया है कि खून और पानी साथ नहीं बह सकते. मेरे प्यारे देशवासियों, अब सब समझ चुके हैं कि सिंधु समझौता कितना अन्यायपूर्ण और एकतरफा था. भारत से निकलने वाली नदियों का पानी हमारे दुश्मनों के खेतों को सींचता रहा, जबकि हमारे किसानों की जमीन प्यास से सूखती रही. सात दशकों से किसानों को हुए इस नुकसान का हिसाब अब चुकाना होगा.

प्रधानमंत्री ने यह भी जोड़ा कि यह समझौता न तो देश के हित में था और न ही किसानों के, और अब भारत इस नुकसान को और बर्दाश्त नहीं करेगा. उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और सिंधु जल संधि को निलंबित करने को दुश्मनों के लिए सपनों से परे सजा बताया.

पाकिस्तान ने दी थी गीदड़भपकी

पीएम मोदी के इस बयान से पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी ने भारत को गीदड़भपकी दी थी. पनामा के एक कार्यक्रम में शरीफ ने कहा था कि  अगर तुम हमारे पानी को रोकने की धमकी दोगे, तो याद रखना पाकिस्तान से एक बूंद भी नहीं छीन सकते. कोशिश की, तो ऐसा सबक मिलेगा कि कान पकड़ने पड़ेंगे. वहीं, बिलावल भुट्टो ने सिंधु जल संधि के निलंबन को सिंधु घाटी सभ्यता पर हमला बताते हुए कहा था कि पाकिस्तान पीछे नहीं हटेगा, चाहे उसे जंग में क्यों न उतरना पड़े.

अब भारत खुद का हक तय करेगा

लाल किले से पीएम मोदी का यह संदेश साफ है कि अब भारत अपने संसाधनों का हक खुद तय करेगा, चाहे इसके लिए पुराने समझौतों को तोड़ना ही क्यों न पड़े. यह केवल एक नीतिगत बदलाव नहीं, बल्कि पाकिस्तान को दी गई सीधी राजनीतिक और रणनीतिक चेतावनी है.

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