पाकिस्तान को औपचारिक रूप से खबर मिली है कि सिंधु जल संधि अब अमान्य है. जलशक्ति मंत्रालय की सचिव देबाश्री मुखर्जी ने पाकिस्तान को भेजे पत्र में यह साफ कर दिया है कि भारत ने सिंधु जल संधि, 1960 को तुरंत प्रभाव से ‘अस्थायी रूप से निलंबित’ (held in abeyance) कर दिया है. पाकिस्तान को चेताया गया है कि अब हालात 1960 जैसे नहीं हैं. भारत ने जल समझौते के अनुच्छेद XII (3) के तहत जो संशोधन मांगा था, उस पर न तो पाकिस्तान ने कोई ईमानदार पहल की, न ही किसी तरह की बातचीत शुरू करने का प्रयास किया. इसके उल्ट भारत को आतंकवाद का जख्म देने का प्रयास किया. पहलगाम में 26 निर्दोष पर्यटकों को गोलियों से भून डाला गया. अब भारत और बर्दाश्त नहीं करने वाला है.
अंतरराष्ट्रीय संधि का खुला उल्लंघन
पत्र में भारत ने दो टूक कहा कि पाकिस्तान की ओर से लगातार सीमापार आतंकवाद और जम्मू-कश्मीर में अस्थिरता फैलाने का प्रयास भारत को अपने वैधानिक जल अधिकारों के उपयोग से रोका है. यह अंतरराष्ट्रीय संधि का खुला उल्लंघन है. अब जब भारत ने आतंक के खिलाफ निर्णायक लड़ाई छेड़ दी है. पाकिस्तान को अपने हिस्से के पानी लिए तरसना होगा.
सिंधु के पानी पर भारत का हक सर्वोपरि है
भारत ने कहा कि सिंधु जल संधि को जिन मान्यताओं पर बनाया गया था, वे अब पूरी तरह बदला है. भारत की जनसंख्या में काफी बढ़ोतरी हुई है. देश को स्वच्छ ऊर्जा के लिए जल संसाधनों का पूर्ण उपयोग करना होगा. पाकिस्तान से सवाल किया कि क्या वह 1960 की जनसंख्या और 2025 की जरूरतों में फर्क नहीं देखता? भारत अब अपने जल संसाधनों को सिर्फ के विकास के लिए प्रयोग करने वाला है. यह चाहे हाईड्रो प्रोजेक्ट हों या कृषि क्षेत्र के लिए पानी. सिंधु के पानी पर भारत का हक सर्वोपरि है, न कि किसी आतंक-परस्त मुल्क का!
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