उत्तर रेलवे ने कबाड़ बिक्री के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है. रेलवे ट्रैक के किनारे कबाड़ को नीलाम कर उत्तर रेलवे ने न सिर्फ राजस्व वृद्धि की है, बल्कि भारतीय रेलवे की बाकी इकाइयों को भी पीछे छोड़ दिया है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में उत्तर रेलवे ने 781.07 करोड़ रुपये की स्क्रैप बिक्री कर रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन किया है. यह आंकड़ा रेलवे बोर्ड की ओर से निर्धारित 530 करोड़ रुपये के सालाना लक्ष्य से करीब 147.36% अधिक है. यह उपलब्धि उत्तर रेलवे को इस क्षेत्र में पूरे भारतीय रेलवे नेटवर्क में शीर्ष पर ले आई है.
आठ प्रमुख स्थानों पर हुई ई-नीलामी
उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक अशोक कुमार वर्मा ने जानकारी देते हुए बताया कि इस उपलब्धि के पीछे एक सुनियोजित रणनीति रही है. मिशन मोड में स्क्रैप निपटान को अंजाम देते हुए उत्तर रेलवे ने आठ प्रमुख लोकेशनों पर कुल 592 ई-नीलामी की हैं. इस प्रक्रिया के तहत पुराने और अनुपयोगी हो चुके स्टाफ क्वार्टर, शेड, जल टंकी और अन्य परित्यक्त संरचनाओं को हटाया गया, जिससे न केवल राजस्व प्राप्त हुआ, बल्कि रेलवे को बहुमूल्य भूमि भी वापस मिली जिसका भविष्य में उपयोग हो सकेगा.
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सही रणनीति से बनाया रिकॉर्ड
उत्तर रेलवे द्वारा की गई यह पहल न सिर्फ आर्थिक रूप से लाभकारी रही, बल्कि स्वच्छता और स्थान फिर से उपयोग के लिहाज़ से भी यह एक प्रभावी कदम है. बता दें कि यह मॉडल देश की अन्य रेलवे ज़ोन के लिए भी प्रेरणा बन सकता है. कबाड़ को केवल व्यर्थ समझने की मानसिकता को बदलते हुए, उत्तर रेलवे ने यह दिखा दिया है कि सही रणनीति और तकनीक के साथ हर संसाधन को उपयोगी बनाया जा सकता है. उत्तर रेलवे की इस उपलब्धि ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि पारंपरिक साधनों से भी जब सही योजना बनाई जाए तो रिकॉर्ड सफलता संभव है.
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