ऑपरेशन महादेव से कश्मीर में आतंकी नेटवर्क हुआ बेनकाब, NIA ने UAPA के तहत उठाया बड़ा कदम

NIA ने पहलगाम हमले को लेकर अपनी जांच तेज करते हुए UAPA के तहत आरोप तय किए हैं. अधिकारियों के अनुसार ऑपरेशन महादेव ने आतंकियों के साथ-साथ सीमा पार हैंडलरों और स्थानीय मददगारों की भूमिका भी उजागर की है.

NIA ने पहलगाम हमले को लेकर अपनी जांच तेज करते हुए UAPA के तहत आरोप तय किए हैं. अधिकारियों के अनुसार ऑपरेशन महादेव ने आतंकियों के साथ-साथ सीमा पार हैंडलरों और स्थानीय मददगारों की भूमिका भी उजागर की है.

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Ravi Prashant
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NIA Photograph: (ANI)

राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने पहलगाम आतंकी हमले की जांच में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम की कड़ी धाराएं लागू कर दी हैं. यह कदम इस बात को फोकस करता है कि एजेंसी इस हमले को सामान्य आतंकी घटना नहीं बल्कि सुनियोजित और संगठित साजिश मान रही है. जांच से जुड़े अधिकारियों के अनुसार यह हमला लश्कर-ए-तैयबा के उस व्यापक अभियान का हिस्सा था जिसका उद्देश्य कश्मीर में अस्थिरता फैलाना और सुरक्षा व्यवस्था को चुनौती देना था.

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लश्कर-ए-तैयबा की क्या थी मंसा? 

एनआईए का आकलन है कि पहलगाम हमला स्थानीय स्तर पर अंजाम दिया गया लेकिन इसकी योजना और निर्देश सीमा पार बैठे आतंकवादी हैंडलरों द्वारा दिए गए थे. एजेंसी के मुताबिक लश्कर लंबे समय से कश्मीर में अपने नेटवर्क को पुनर्गठित करने की कोशिश कर रहा था. इस हमले के जरिए न केवल दहशत फैलाने बल्कि स्थानीय युवाओं को कट्टरपंथ की ओर आकर्षित करने की भी मंशा थी.

ऑपरेशन महादेव से आतंकियों का हुआ सफाया

अधिकारियों ने बताया कि ऑपरेशन महादेव इस पूरे मामले में अहम साबित हुआ. इस अभियान के दौरान पहलगाम हमले में शामिल शूटरों को मार गिराया गया. साथ ही जांच एजेंसियों को उनके संचार, संपर्कों और लॉजिस्टिक सपोर्ट से जुड़े अहम सुराग मिले. इससे यह स्पष्ट हुआ कि आतंकी गतिविधियां केवल हथियारबंद हमलावरों तक सीमित नहीं हैं बल्कि उनके पीछे एक संगठित तंत्र काम करता है.

आतंकी इकोसिस्टम का हुआ खुलासा

जांच में सामने आया है कि कश्मीर में आतंकवाद को बनाए रखने के लिए एक पूरा इकोसिस्टम सक्रिय है. इसमें सीमा पार बैठे मास्टरमाइंड, स्थानीय ओवरग्राउंड वर्कर्स, फंडिंग चैनल और सुरक्षित ठिकाने शामिल हैं. एनआईए का कहना है कि ऑपरेशन महादेव के जरिए इस नेटवर्क की कई परतें उजागर हुई हैं, जिससे भविष्य में ऐसी साजिशों को नाकाम करना आसान होगा.

चार्जशीट से क्या होगा? 

सूत्रों के अनुसार एनआईए की प्रस्तावित चार्जशीट केवल आरोप तय करने तक सीमित नहीं होगी बल्कि इसमें आतंकी नेटवर्क की विस्तृत मैपिंग की जाएगी. इससे अदालत में अभियोजन को मजबूती मिलेगी और आरोपियों के खिलाफ ठोस सबूत पेश किए जा सकेंगे. एजेंसी का मानना है कि UAPA की धाराएं लगाने से आतंकवाद के मामलों में सख्त संदेश जाएगा और ऐसे संगठनों पर कानूनी दबाव बढ़ेगा.

सुरक्षा एजेंसियों का क्या है मैसेज? 

इस कार्रवाई के जरिए सुरक्षा एजेंसियों ने स्पष्ट किया है कि कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति जारी रहेगी. एनआईए और अन्य एजेंसियां मिलकर न केवल हमलों के दोषियों को सजा दिलाने पर काम कर रही हैं बल्कि आतंकवाद को समर्थन देने वाले पूरे ढांचे को ध्वस्त करने की दिशा में भी कदम उठा रही हैं.

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