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कोरोना वायरस के लिए वुहान की लैब जिम्मेदार, भारतीय वैज्ञानिकों ने खोली चीन की 'पोल'

कोरोना वायरस चीन की वुहान लैब में पैदा किया गया या सीफूड मार्केट में पनपा था, इस विषय पर शोध करने वाली भारतीय वैज्ञानिक दंपत्ति का मानना है कि उनके पास कुछ ऐसे साक्ष्य हैं, जिसके मुताबिक सार्स कोव-2 यानि कोरोना वायरस की वुहान की लैब में ही उत्पत्ति क

Updated on: 06 Jun 2021, 09:08 AM

highlights

  • महामारी की मार से दुनिया घुटनों के बल पर
  • अलग अलग मुल्कों में वायरस के कई रूप
  • वायरस कहां से आया, अभी तक बना है राज

पुणे:

कोरोना वायरस को आए एक साल से ज्यादा वक्त हो चुका है और अभी तक इस महामारी के कोहराम से दुनिया घुटनों के बल पर है. शुरुआत में सिर्फ एक रूप में आया कोरोना अब बहरूपिया बन गया है. दुनिया के अलग अलग मुल्कों में वायरस ने अलग अलग रूप लिए और हर नए रूप के साथ यह उतना ही घातक बनकर हमला कर रहा है. दुनियाभर के देश इसकी चपेट में हैं, मगर ताज्जुब इस बात का है कि अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि कोरोना वायरस आखिर आया कहां से है. हालांकि बहुत से देश इसके लिए चीन को जिम्मेदार ठहराते हैं. तमाम देश यह कहते हैं कि वुहान की लैब से ही कोरोना पैदा हुआ था. मगर चीन इसे झुठलाता आया है. इस बीच अब भारत के वैज्ञानिकों ने चीन की पोल दी है.

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कोरोना वायरस चीन की वुहान लैब में पैदा किया गया या सीफूड मार्केट में पनपा था, इस विषय पर शोध करने वाली भारतीय वैज्ञानिक दंपत्ति का मानना है कि उनके पास कुछ ऐसे साक्ष्य हैं, जिसके मुताबिक सार्स कोव-2 यानि कोरोना वायरस की वुहान की लैब में ही उत्पत्ति की गई. पुणे के रहने वाले वैज्ञानिक दंपत्ति डॉ. राहुल बाहुलिकर और डॉ. मोनाली राहलकर का दावा है कि कोरोना वुहान लैब से लीक हुआ था. वैज्ञानिक दंपत्ति का कहना है कि उन्होंने अलग-अलग देशों के अनजान लोगों के साथ मिलकर इंटरनेट से इस संबंध में सबूत जुटाए.

पुणे के रहने वाले डॉ राहुल बहुलिकर और डॉ मोनाली राहल्कर ने कहा कि इन लोगों ने एक समूह बनाया और उसे ड्रैस्टिक (डीसेंट्रलाइज्ड रेडिकल ऑटोनॉमस सर्च टीम इनवेस्टिगेटिेंग कोविड-19) का नाम दिया. उन्होंने एक थ्योरी दी कि कोरोना चीन की वुहान की लैब से ही निकला है. हालांकि इनकी थ्योरी को पहले षड्यंत्र बताकर खारिज कर दी गई थी, लेकिन एक बार उसे बल मिला है, क्योंकि अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने जांच करने का आदेश दिया है. यह वैज्ञानिक दंपत्ति कहती है कि वो पुख्ता तौर पर नहीं जानती कि कोरोना को लीक किया गया था, मगर जिस दिशा में उनका शोध बढ़ रहा है, उससे पता चलता है कि वायरस को लीक किया गया होगा.

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भारतीय वैज्ञानिक दंपत्ति की मानें तो अप्रैल 2020 में उन लोगों ने रिसर्च की शुरुआत की थी, जिसमें यह पाया कि SARS-CoV-2, RATG13 यानी कोरोना वायरस को वुहान लैब ने दक्षिण चीन के यून्नान प्रांत के मोजिएंग माइनिंग से इकट्ठा किया था. साथ ही यह भी पता चला था कि माइनशैफ्ट में चमगादड़ों का बसेरा था और उस शैफ्ट को साफ करने के लिए 6 मजदूर लगाए गए, जो न्यूमोनिया की तरह किसी बीमारी का शिकार बने. वैज्ञानिक दंपत्ति का कहना है कि ये लोग चीनी दस्तावेज का अनुवाद कर अपने स्तर पर इसकी जांच कर रहे हैं.