अद्भुत कलाकार चूणामणि चंद्रवंशी, घांसफूस से तैयार की अनोखी कलाकृति
तिनका, वेस्ट घांसफूस या धान का सूखा तना का इस्तेमाल आप सिर्फ जलाने या फेंकने के काम ही आता होगा. इसी तरह के वेस्ट आयटम से अद्भुत कलाकारी का एक बेहतरीन उदाहरण देखने को मिलता है.
नई दिल्ली:
कहते है कला जिंदगी को निखार देती है. लेकिन वही कला अगर किसी को बांटी जाए तो वह सबको निखारकर एक नया आयाम देती है. ऐसे ही एक कलाकार है चूणामणि चंद्रवंशी जो खुद तो अद्भुत कलाकार है ही. वे अपनी कला दूसरों को भेंट कर रहे है.आपको दिखाते है कचरे से मनमोहक कलाकृति की कहानी. तिनका, वेस्ट घांसफूस या धान का सूखा तना का इस्तेमाल आप सिर्फ जलाने या फेंकने के काम ही आता होगा. इसी तरह के वेस्ट आयटम से अद्भुत कलाकारी का एक बेहतरीन उदाहरण देखने को मिलता है. अलग रंगों से बनी यह बेहद खूबसूरत कलाकृति इसी धान की फसल के सूखे तिनके है. एक या दो नहीं सैकड़ों कलाकृति इसी वेस्ट से बनकर तैयार होती है. खास बात तो यह है कि इन कलाकृतियों में किसी भी प्रकार के रंग नहीं भरे गए हैं. बल्कि वेस्ट पैरा के अलग-अलग रंग है, जिन्हें अलग-अलग जगह उपयोग किया गया है.
वेस्ट पैरा से बनी बेहद खूबसूरत कला कृतियां बनाने का काम दरअसल चूणामणि चंद्रवंशी के अंतर्मन की उपज है. जिन्होंने एक दशक पहले इसकी शुरुआत की थी.चूणामणि ने खुद इस कला में महारथ हासिल की उसके बाद इस कला को दूसरों में भी बांट रहे हैं. चूणामणि अभी तक लगभग 4 हजार लोगों को प्रशिक्षित कर चुके है और यह सिलसिला आज भी जारी है. चूणामणि कई नेताओं की तस्वीर बना चुके है. रायपुर में दर्जनों बच्चो को ट्रेनिंग दे रहे चूणामणि से हमने समझा पैरा से खूबसूरत कला कैसे बनाई जाती है.
चूणामणि से ट्रेंड हो रहे बाल कलाकार भी इस कलां में बड़ी रुचि दिख रहे है.पैरा से तस्वीर बनाने का काम सरल नहीं है.सबसे पहले माह तरीके से इसकी शुरुआत होती है पैरा के एक एक तिनके को सहेजकर उसको ब्लेड से चीरकर उसे घिसकर चमकदार बनाया जाता है. उसके बाद काम शुरू होता है. इसके बाद किसी चित्र को एक कागज पर उकेरने का.फिर कागज पर एक-एक तिनके को पिरोया जाता है. उसके बाद एक कपड़े पर चिपकाकर तस्वीर को फ़ायन करने का काम किया जाता है. इतना सब होने के बाद एक तस्वीर तैयार होती है. जिसकी पूरी प्रक्रिया आधा दिन यानी करीब 6 से 7 घंटे का समय गुजरता है.
पैरा से बनी कलाकृति देखने मे तो बहुत सुंदर लगती है. लेकिन इसके पीछे बारीक काम , मेहनत और सबसे ज्यादा बाहत ज्यादा धैर्य की जरूरत होती है. तब कहीं जाकर खूबसूरत तस्वीर तैयार होती है. इस कला को सीख रहे बच्चे भी भारी उत्साहित और खुश नजर आते है. इतना ही नहीं जिस तरह से चूणामणि चंद्रवंशी अपनी कला दूसरों को सौप रहे है. कुछ ऐसी ही सोच उनसे सीख रहे बच्चे भी रखते है.
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