केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मांडविया को सफदरगंज अस्पताल के गार्ड ने क्यों मारा डंडा?
मांडविया ने पैरामेडिक्स और अन्य स्टाफ को उनकी भूमिका की याद दिलाते हुए कहा कि अस्पताल और मेडिकल स्टाफ एक ही सिक्के के दो पहलू हैं .
highlights
- सफदरगंज अस्पताल में चार स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं का उद्घाटन
- कुछ दिन पहले आम नागरिक बनकर सफदरगंज अस्पताल में औचक निरीक्षण करने पहुंचे थे
- एक बेंच पर बैठने लगे तो वहां पर मौजूद एक सुरक्षा गार्ड ने उन्हें डांट दिया और उन्हें डंडा भी मारा
नई दिल्ली:
दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को मनसुख मांडविया (Mansukh Mandaviya)को एक गार्ड ने डंडा मार दिया था. इसका खुलासा आज स्वयं केंद्रीय मंत्री मांडविया ने किया. उन्होंने बताया कि कुछ दिन पहले वह एक आम नागरिक बनकर सफदरगंज अस्पताल में औचक निरीक्षण करने पहुंचे थे. वहां उन्हें एक गार्ड ने डंडा मार दिया था. केंद्रीय मंत्री ने इस बात खुलासा उसी सफदरगंज अस्पताल में चार स्वास्थ्य संबंधी सुविधाओं के उद्घाटन समारोह में डॉक्टरों से किया. स्वास्थ्य मंत्री मांडविया ने इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी दी थी. जिसे सुनकर वे भी हैरान और परेशान हुए. उन्होंने मुझसे पूछा कि गार्ड को निलंबित किया गया है या नहीं. उन्होंने कहा कि मैंने उनसे कहा कि उसे सस्पेंड नहीं किया गया क्यों कि वह सिर्फ एक व्यक्ति को नहीं बल्कि पूरी व्यवस्था को सुधारना चाहते हैं.
उद्घाटन समारोह में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने डॉक्टरों से कहा कि निरीक्षण के दौरान अस्पताल में बहुत ही ज्यादा असुविधाएं देखने को मिली. उन्होंने अस्पताल प्रशासन से मरीजों को दी जानें वाली सुविधाओं में सुधार कर और अस्पताल की अव्यवस्थाओं को दूर करके इसे देश का मॉडल अस्पताल बनाने के निर्देश दिए.
मांडविया ने कहा कि वह एक रोगी के रूप में अस्पातल में निरीक्षण करने पहुंचे थे और इस दौरान जब वह एक बेंच पर बैठने लगे तो वहां पर मौजूद एक सुरक्षा गार्ड ने उन्हें डांट दिया और उन्हें डंडा भी मारा इसके बाद उसने उन्हें वहां पर बैठने से मना कर दिया.
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उन्होंने कहा कि वहां कई रोगियों को अस्पताल में स्ट्रेचर और दूसरी अन्य चिकित्सा सहायता के लिए भटकना पड़ रहा था. केंद्रीय मंत्री ने एक 75 वर्षीय महिला का उदाहरण देते हुए कहा कि वह अपने बेटे के लिए एक स्ट्रेचर लाने के लिए एक गार्ड से गुहार लगा रही थी, लेकिन उस महिला को स्ट्रेचर नहीं मिला. उन्होंने कहा कि गार्ड के व्यवहार से नाखुश होने के बाद उन्होंने उससे पूछा कि अस्पताल में 1500 से ज्यादा गार्ड तैनात होने के बाद भी गार्ड ने बुजुर्ग महिला की मदद क्यों नहीं की.
मांडविया ने पैरामेडिक्स और अन्य स्टाफ को उनकी भूमिका की याद दिलाते हुए कहा कि अस्पताल और मेडिकल स्टाफ एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और उन्हें एक टीम के रूप में काम करना चाहिए. उन्होंने डॉक्टरों द्वारा कोरोना काल में कोविड से संक्रमित मरीजों के इलाज में किए जा रहे काम की प्रशंसा भी की.
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