अंग्रेजों का सिस्टम बदलने की जरूरत, न्याय प्रणाली का हो भारतीयकरणः CJI

ग्रामीण क्षेत्र के लोग उन तर्को या दलीलों को नहीं समझते हैं जो ज्यादातर अंग्रेजी में दी जाती हैं. उनके लिए एक अलग भाषा है.

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Nihar Saxena
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NV Ramana

अदालतों को वादी केंद्रित होने की जरूरत है, क्योंकि वे अंतिम लाभार्थी.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एनवी रमना ने कर्नाटक राज्य बार काउंसिल द्वारा दिवंगत न्यायमूर्ति मोहना एम. शांतनागौदर को श्रद्धांजलि देने के लिए आयोजित एक समारोह में देश में कानूनी व्यवस्था के भारतीयकरण का आह्वान किया. उन्होंने कहा, 'हमारा न्याय वितरण अक्सर आम लोगों के लिए बाधाएं पैदा करता है. अदालतों की कार्यप्रणाली और शैली भारत की जटिलताओं के साथ अच्छी तरह से फिट नहीं बैठती है. हमारी प्रणाली, प्रथाएं, नियम मूल रूप से औपनिवेशिक हैं, जो भारतीय आबादी की जरूरतों के हिसाब से सबसे उपयुक्त नहीं हो सकते.' उन्होंने कहा, 'समय की जरूरत हमारी कानूनी प्रणाली का भारतीयकरण है. जब मैं भारतीयकरण कहता हूं, तो मेरा मतलब है कि हमारे समाज की व्यावहारिक वास्तविकताओं के अनुकूल होने और हमारी न्याय वितरण प्रणाली को स्थानीय बनाने की जरूरत है. ग्रामीण क्षेत्र के लोग उन तर्को या दलीलों को नहीं समझते हैं जो ज्यादातर अंग्रेजी में दी जाती हैं. उनके लिए एक अलग भाषा है.' उन्होंने बताया कि इन दिनों फैसला आने में लंबा वक्त लगता है, जो वादियों की स्थिति को और अधिक जटिल बनाते हैं. उन्होंने रेखांकित किया कि निर्णय के निहितार्थ को समझने के लिए पक्षकारों उन्हें अधिक पैसा खर्च करने के लिए मजबूर किया जाता है.

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सीजेआई ने कहा, 'अदालतों को वादी केंद्रित होने की जरूरत है, क्योंकि वे अंतिम लाभार्थी हैं. न्याय वितरण का सरलीकरण हमारी प्रमुख चिंता होनी चाहिए. न्याय वितरण को अधिक पारदर्शी, सुलभ और प्रभावी बनाना महत्वपूर्ण है.' प्रक्रियात्मक बाधाएं अक्सर न्याय तक पहुंच को कमजोर करती हैं. आम आदमी को अदालतों और अधिकारियों के पास जाने से डरना नहीं चाहिए. न्यायालय का दरवाजा खटखटाते समय उसे न्यायाधीशों और न्यायालयों से डरना नहीं चाहिए. उन्होंने कहा कि उन्हें सच बोलने में सक्षम होना चाहिए. उन्होंने कहा, 'वकीलों और न्यायाधीशों का यह कर्तव्य है कि वे एक ऐसा वातावरण तैयार करें जो वादियों और अन्य हितधारकों के लिए आरामदायक हो. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि किसी भी न्याय वितरण प्रणाली का केंद्रबिंदु न्याय चाहने वाला वादी है.'

रमना ने कहा कि इस आलोक में वैकल्पिक विवाद तंत्र जैसे मध्यस्थता और सुलह का उपयोग पक्षों के बीच घर्षण को कम करने और संसाधनों की बचत करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा. यह लंबे निर्णयों के साथ लंबी बहस के लिए लंबितता और जरूरत को भी कम करता है, जैसा कि संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वारेन बर्गर ने कहा, जो मैं उद्धृत करता हूं- 'यह धारणा कि आम लोग अपने विवादों को हल करने के लिए काले वस्त्र वाले न्यायाधीश, अच्छी तरह से तैयार वकीलों को ठीक अदालतों में सेटिंग के रूप में चाहते हैं, गलत है. समस्याओं वाले लोग, दर्द से पीड़ित लोगों की तरह राहत चाहते हैं और वे इसे जल्द से जल्द और सस्ते में चाहते हैं.'

न्यायमूर्ति शांतनागौदर के बारे में बात करते हुए उन्होंने उल्लेख किया कि बहुत दुख की के साथ कहता हूं कि मैं अपने भाई न्यायाधीश माननीय न्यायमूर्ति मोहन एम. शांतनागौदर को श्रद्धांजलि देने आया हूं, जिनका 24 अप्रैल 2021 को निधन हो गया. उन्होंने कहा, 'देश ने एक आम आदमी के न्यायाधीश को खो दिया. मैंने व्यक्तिगत रूप से एक सबसे प्रिय मित्र और एक मूल्यवान सहयोगी खो दिया है. राष्ट्र के न्यायशास्त्र में उनका योगदान, उच्च न्यायालय में उनकी पदोन्नति के समय से और विशेष रूप से सुप्रीम कोर्ट में उनके कार्यकाल के दौरान उनकी निष्ठा निर्विवाद है. उनके निर्णय उनके वर्षो के अनुभव, उनके ज्ञान की गहराई और उनके अंतहीन ज्ञान में एक गहरी अंतर्दृष्टि मिलती है.'

HIGHLIGHTS

  • वर्तमान न्याय प्रणाली लोगों के लिए बाधाएं पैदा कर रही
  • न्याय वितरण का सरलीकरण हमारी प्रमुख चिंता हो
  • समय की जरूरत हमारी कानूनी प्रणाली का भारतीयकरण
Judiciary Supreme Court सीजेआई एनवी रमना CJI NV Ramana सुप्रीम कोर्ट British Type
      
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