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क्या देश में बच्चों को भी दी जाएगी बूस्टर डोज? WHO की चीफ साइंटिस्ट का दावा

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की वैज्ञानिक डॉ सौम्या विश्वनाथन का कहना है कि इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि स्वस्थ बच्चों और किशोरों को वैक्सीन का बूस्टर देने की जरूरत होगी.

Updated on: 20 Jan 2022, 08:49 AM

highlights

  • WHO की वैज्ञानिक डॉ सौम्या विश्वनाथन का कहना है कि इस बात का कोई प्रमाण नहीं
  • देश में 15 से 18 वर्ष के बच्चों के कोरोना वैक्सीनेशन की शुरुआत हो चुकी है
  • अमेरिका जैसे विकसित देशों में बच्चों को वैक्सीन की बूस्टर डोज दी जा रही है

नई दिल्ली:

कोरोना वायरस के ओमीक्रॉन वेरिएंट (Omicron Variant) की वजह से दुनिया भर में बूस्टर डोज (Covid-19 Vaccine Booster Dose) देने की तैयारी हो रही है। बड़ों के साथ अब बच्चों को भी इसे देने की बात चल रही है। इस बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की वैज्ञानिक डॉ सौम्या विश्वनाथन का कहना है कि इस बात का कोई प्रमाण नहीं है कि स्वस्थ बच्चों और किशोरों को वैक्सीन का बूस्टर देने की जरूरत होगी. ओमिक्रॉन वेरिएंट को लेकर उन्होंने कहा कि आवश्यकता नहीं है कि हर वेरिएंट को ध्यान में रखते हुए टीकाकरण में तब्दीली की जाए. 

बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान डॉ सौम्या विश्वनाथन ने कहा, फिलहाल इस बात के कोई भी सबूत नहीं हैं कि स्वस्थ बच्चों और किशोरों को कोरोना वैक्सीन के बूस्टर डोज की आवश्यकता होगी. दरअसल विश्व स्वास्थ्य संगठन की शीर्ष वैज्ञानिक का यह बयान उस वक्त सामने आया है, जब अमेरिका, जर्मनी और इजराइल जैसे देशों ने बच्चों को बूस्टर डोज देने की तैयारी कर ली है.

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वहीं भारत में इस माह की शुरुआत में 15 से 18 वर्ष के बच्चों के कोरोना वैक्सीनेशन की शुरुआत हो चुकी है.अमरीका में फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने 12 से 15 वर्ष के बच्चों के लिए फाइजर और बायोएनटेक की कोविड-19 वैक्सीन को बूस्टर डोज के तौर पर इस्तेमाल करने की मंजूरी दे दी है. 

अमेरिका जैसे विकसित देशों में बच्चों को वैक्सीन की बूस्टर डोज दी जा रही है। वहीं दूसरी ओर वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने इस बात पर सहमत नहीं है कि आबादी के कमजोर समूह से आने वाले लोगों को बूस्टर डोज की जरूरत नहीं है. डॉ सौम्या विश्वनाथन के अनुसार इस सप्ताह के आखिरी में जाने-माने शिक्षाविदों का ग्रुप इस मामले पर चर्चा करने वाला है कि  सरकारों को वैक्सीन के बूस्टर डोज पर दोबारा से विचार करने की   जरूरत है.

डॉ सौम्या विश्वनाथन के अनुसार बूस्टर डोज का मुख्य उद्देश्य उस कमजोर वर्ग के लोगों को कोरोना वायरस से सुरक्षा प्रदान करना होगा, जिनमें गंभीर बीमारियों के कारण मौत का खतरा अधिक है. इसमें बुजुर्ग आबादी के साथ हेल्थ वर्कर भी शामिल हैं.