लोकसभा चुनाव के पहले चरण का मतदान 19 अप्रैल को होने वाला है. चुनाव को देखते हुए सभी पार्टियां अपनी तैयारियों में जुटी हुई हैं और हर नेता जनता को लुभाने के लिए हर पांच साल में किए जाने वाले वादे कर रहे हैं. जनता भी हमेशा की तरह नेताओं की बातों से प्रभावित होकर उन्हें वोट भी दे देती है. कुछ वादे पूरे होते हैं और कुछ असफल हो जाते हैं. ऐसे में सवाल यह है कि जनता को वोट करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? वोट करने से पहले जनता के लिए कई महत्वपूर्ण मामले हैं जो उन्हें ध्यान में रखने चाहिए. एक अच्छी नागरिकता के रूप में, वोटर्स को निम्नलिखित बिंदुओं पर विचार करना चाहिए और सोच समझकर वोट करना चाहिए.
क्या पांच साल में कुछ किए काम?
वोटर्स को पार्टियों के कार्यक्षेत्र और नीतियों को ध्यान में रखना चाहिए. कौनसी पार्टी उनकी समस्याओं और दृष्टिकोण के साथ सबसे अधिक मेल खाती है. क्या उस पार्टी ने किए हुए वादे को पूरा किया था? अगर किया था तो आप बेशक वोट करना चाहिए. वोटर्स को प्रत्याशियों के इतिहास, कार्यक्षेत्र में किए गए कार्य, और उनके निर्देशनात्मक दृष्टिकोण को विचार करना चाहिए. ये काफी अहम होता है.वोटर्स को पार्टियों की नीतियों का मूल्यांकन करना चाहिए. क्या ये नीतियां जनता के हित में हैं और समाज के विकास को प्रोत्साहित करेंगी?
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नेताओं का देखना चाहिए चरित्र
इसमें सबसे अहम होता है कि नेताओं के चरित्र और नैतिकता को भी ध्यान में रखना चाहिए. क्या वे ईमानदार और जिम्मेदार हैं? वोटर्स को पार्टियों की सामाजिक और आर्थिक नीतियों को भी महत्वपूर्ण मानना चाहिए. इन नीतियों का समाज पर कैसा प्रभाव होगा, यह भी विचारनीय है. क्या चुनाव क्षेत्र के प्रतिनिधि वोटर्स की मांगों और आवश्यकताओं को समझते हैं? उनकी प्रतिनिधित्व क्षमता भी महत्वपूर्ण है.
क्या प्रत्याशी की वायदों और वचनों का सत्यापन किया गया है? क्या उन्होंने पहले के चुनावी वायदों को पूरा किया है? वोटर्स को इन सभी मुद्दों को मध्यनजर रखकर सही निर्णय लेना चाहिए. उन्हें अपने मतदान का महत्व समझना चाहिए, क्योंकि यह नागरिक शक्ति का प्रतीक है और देश के भविष्य को निर्धारित करने में मदद करता है.
Source : News Nation Bureau