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जानिए कैसे सर्वे करता है ASI, ज्ञानवापी मस्जिद में किस तकनीकी का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण कर रहा प्रयोग?

What is ASI survey: सुप्रीम कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से किए जा रहे सर्वे पर रोक लगा दी. शीर्ष कोर्ट ने 26 जुलाई शाम 5 बजे तक सर्वे पर रोक लगाने की बात कही है.

Updated on: 24 Jul 2023, 01:52 PM

highlights

  • संस्कृत मंत्रालय के अधीन आता है एएसआई
  • सर्वे में क्या जाता है ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार तकनीकी का प्रयोग
  • ऐतिहासिक इमारतों के रख-रखवा ही होती है जिम्मेदारी

New Delhi:

What is ASI survey: वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में सोमवार को हुए एएसआई के सर्वे पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी. ये रोक बुधवार (26 जुलाई) शाम पांच बजे तक लागू रहेगी. इसी के साथ शीर्ष कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को हाईकोर्ट जाने का निर्देश दिया. साथ ही कहा है कि रोक की समय सीमा से पहले ही हाईकोर्ट से इस मामले की सुनवाई करे. हिंदू पक्ष ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे की लंबे समय से मांग कर रहा था. इसके साथ ही हिंदू पक्ष का दावा है कि इस मस्जिद का निर्माण मंदिर को तोड़कर किया गया है. जिसके साक्ष्य वहां अब भी मौजूद हैं. एएसआई के सर्वे का नाम आते ही हमारे मन में विचार आता है कि आखिर एएसआई यानी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग किस तरह से इन सर्वे को अंजाम देता है और सर्वे में किस तरह की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करता है.

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केंद्र के संस्कृत मंत्रालय के अधीन है एएसआई

बता दें कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के अधीन काम करता है. जो देश की सांस्कृतिक धरोहरों के रखरखाव और अनुसंधान की जिम्मेदारी निभाता है. इसके साथ ही देशभर में मौजूद पुरानी और ऐतिहासिक इमारतें भी एएसआई के कामकाज के क्षेत्र होती हैं. इनके रख-रखाव की पूरी जिम्मेदारी एएसआई की ही होती है. बता दें कि एएसआई की स्थापना साल 1861 में की गई थी. इसके बाद से ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग देश की धरोहरों को सहेजने में अपना योगदान दे रहा है. एएसआई 1958 के संस्कमारक एवं पुरातत्वीय स्थल अवशेष कानून के तहत ऐसे मामलों की पड़ताल करता है.

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किस तकनीकी की किया जाता है सर्वे में इस्तेमाल

बता दें कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण का काम पुरानी इमारतों औ ऐतिहासिक स्थलों के पीछे के सच को उजागर करने का काम करता है. जिसमें यह पुरानी इमारतों में ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार और अन्य आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करता है. जिससे सच का पता लगाया जा सके कि जिस स्थान पर सर्वे किया जा रहा है वहां पहले क्या चीज थी. ज्ञानवापी मामले में भी एएसआई ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार का इस्तेमाल कर रहा है. इसके साथ ही एएसआई की एक टीम आगे और पीछे सीधी रेखाओं में चलकर इस बात का पता करेगी कि दीवार या नींव में क्या दबा हुआ है. इसमें किस तरह की कलाकृतियां और इसकी मिट्टी का रंग कैसा है. या फिर इस के रंग में किसी तरह का कोई बदलाव आया है. सर्वे के दौरान मिली जानकारी और सात साक्ष्यों के आधार पर एएसआई रिपोर्ट तैयार करता है. इस रिपोर्ट में ये भी बताया जाता है कि इसमें समय के साथ कितना बदलाव हुआ है.