logo-image

योगेंद्र यादव ने कहा- किसान सरकार से बातचीत के लिए तैयार, लेकिन...

योगेंद्र यादव ने बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा ने आज सरकार को एक पत्र लिखा. इसमें कहा गया है कि सरकार को संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा पहले लिखे गए पत्र पर सवाल नहीं उठाना चाहिए क्योंकि यह सर्वसम्मत निर्णय था.

Updated on: 23 Dec 2020, 06:18 PM

नई दिल्ली :

कृषि कानूनों को रद्द करनी की मांग को लेकर किसान आंदोलन जारी है. भीषण ठंड में भी किसान प्रदर्शन स्थल से हटने को राजी नहीं है. स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव (yogendra Yadav) भी किसानों के साथ खड़े हैं. सरकार से मिले पत्र का जवाब आज आंदोलन कर रहे किसानों की ओर से दिया गया है. लेकिन इस पत्र पर सरकार ने सवाल खड़े किए हैं. जिसे लेकर योगेंद्र यादव ने कहा कि पत्र लिखा जाना सर्वसम्मत फैसला था.

योगेंद्र यादव ने बताया कि संयुक्त किसान मोर्चा ने आज सरकार को एक पत्र लिखा. इसमें कहा गया है कि सरकार को संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा पहले लिखे गए पत्र पर सवाल नहीं उठाना चाहिए क्योंकि यह सर्वसम्मत निर्णय था. किसान संघ को बदनाम करने की एक नई कोशिश सरकार का नया पत्र है. 

इसे भी पढ़ें:CM ममता बनर्जी बोलीं- बंगाल को गुजरात नहीं बनने देंगे, क्योंकि...

सिंघू बॉर्डर से योगेंद्र यादव ने कहा कि हम सरकार से आग्रह करते हैं कि हम उन निरर्थक संशोधनों को न दोहराएं जिन्हें हमने अस्वीकार कर दिया है. लिखित रूप में एक ठोस प्रस्ताव लेकर आएं ताकि इसे एक एजेंडा बनाया जा सके, और बातचीत की प्रक्रिया जल्द से जल्द शुरू की जा सके.

इसके साथ ही योगेंद्र यादव ने कहा कि सरकार लगातार तथाकथित किसान नेताओं और संगठनों के साथ बातचीत कर रही है, जो हमारे आंदोलन से बिल्कुल भी जुड़े नहीं हैं. यह हमारे आंदोलन को तोड़ने का एक प्रयास है. प्रदर्शनकारी किसानों के साथ सरकार जिस तरह से अपने विपक्ष के साथ व्यवहार करती है.

और पढ़ें:'कृषि मंत्री का दावा ठेका खेती में किसानों की जमीनें नहीं छिनेंगी, एक बड़ा झूठ'

योगेंद्र यादव आगे कहा कि हम केंद्र को आश्वस्त करना चाहते हैं कि किसान संगठन सरकार के साथ चर्चा के लिए तैयार है. हम खुले दिमाग और साफ इरादे के साथ चर्चा को आगे बढ़ाने के लिए सरकार का इंतजार कर रहे हैं.

मीडिया से बातचीत करते हुए राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार ने कहा कि हम सरकार से बेहतर परिणाम वाले माहौल में बातचीत करने का आग्रह करते है. यहां तक की सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कृषि कानूनों के कार्यान्वयन को निलंबित करें. इससे वार्ता का बेहतर माहौल मिलेगा.