Advertisment

तालिबान के खिलाफ भारत में बनेगा अमेरिकी बेस... पर्दे के पीछे चल रहा खेल!

अमेरिका आने वाले समय में भारत को कहीं महत्वपूर्ण सैन्य साझेदार मान कर अभी से तैयारियां कर रहा है.

author-image
Nihar Saxena
एडिट
New Update
Antony Blinken

एंटोनी ब्लिंकन ने इस सवाल पर अपनाया हां-ना वाला रुख.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

Advertisment

अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान राज की वापसी के साथ एशिया-प्रशांत (Indo Pacific) क्षेत्र में भू-राजनीतिक-सैन्य समीकरण बदल गए हैं. खासकर पाकिस्तान-चीन के तालिबान को लेकर लचीले रुख ने अमेरिका (America) समेत रूस को नई रणनीति पर सोचने को विवश कर दिया है. केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) भी इस बदलाव को अच्छे से समझ रही है और मान कर चल रही है कि भविष्य में अफगानिस्तान को लेकर किसी भी तरह की वैश्विक प्रतिक्रिया के केंद्र में भारत ही होगा. संभवतः इसीलिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) इसी महीने अमेरिकी यात्रा पर जा रहे हैं, तो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल (Ajit Doval) समेत विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) पर्दे के पीछे एजेंडा सेट करने में लगे हैं. भारत केंद्रित समीकरण को अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन (Antony Blinken) के एक जवाब से और बल मिलता है. भविष्य के मद्देनजर भारत में अमेरिकी बेस या स्टेजिंग एरिया से जुड़े प्रश्न पर न तो ब्लिंकन ने हामी भरी और ना ही खंडन किया. जाहिर है कि अमेरिका आने वाले समय में भारत को कहीं महत्वपूर्ण सैन्य साझेदार मान कर अभी से तैयारियां कर रहा है. 

पर्दे के पीछे भी बदल रहे हैं सामरिक समीकरण
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के अफगानिस्तान से सेना वापसी के फैसले ने दुनिया पर आतंकी साया कहीं गहरा दिया है. अब अमेरिकी प्रशासन भी इस खतरे को समझ रहा है. संभवतः इसीलिए उसने पाकिस्तान की भूमिका पर चर्चा की है औऱ निकट भविष्य में भारत के साथ रणनीतिक सहयोग औऱ मजबूत करने का आश्वासन दिया है. विशेषज्ञों की मानें तो अमेरिका और रूस के शीर्ष सुरक्षा अधिकारियों का पिछले दिनों भारत दौरा इस बात का साफ संकेत है कि बदले समीकरणों में इलाके की रणनीति को लेकर काफी कुछ पर्दे के पीछे चल रहा है. अफगानिस्तान की स्थिति पर भारत मे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों के जरिए लगातार इनपुट खंगाल रहे हैं. भारत देखो और इंतजार करो की कूटनीति पर काम करते हुए वैश्विक स्तर पर अपने तमाम हितों को खंगाल रहा है.

यह भी पढ़ेंः Exclusive : ...देर होती तो एक और 26/11 हो जाता! 

पाकिस्तान की नापाक भूमिका को लेकर सर्तक है अमेरिका
ऐसे में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन का एक बयान खासा महत्वपूर्ण हो गया है. सेना की वापसी के बावजूद अमेरिका अफगानिस्तान में सक्रिय आतंकी गुटों के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की तैयारी मजबूत बनाए रखना चाहता है. अमेरिकी प्रशासन इस संबंध में दूसरे देशों में अपना बेस बनाने की बात कर रहा है, ताकि जरूरत पड़ने पर अफगानिस्तान में आतंकियों और उनके ठिकानों पर हमले किए जा सके. एक प्रश्न तैर रहा है कि क्या भारत में भी अमेरिका ऐसे बेस बनाना चाहता है, क्या भारत सरकार के सामने अमेरिका ने ऐसी कोई मांग रखी है? इस मुद्दे पर जब अमेरिका में विदेश मामलों की संसदीय समिति में अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन से सवाल पूछे गए तो उनहोंने चौंकाने वाला जवाब दिया. ब्लिंकन ने स्पष्ट तौर पर तो कुछ नहीं कहा, लेकिन इस संभावना से इंकार भी नहीं किया. उन्होंने कहा कि अमेरिका भारत के संपर्क में है और ऐसी किसी भी योजना के बारे में समिति के सामने सार्वजनिक जानकारी नहीं दे सकते. गौरतलब है कि अमेरिका के रिपब्लिकन पार्टी सांसद मार्को रुबियो ने भी साफतौर पर कहा था कि अफगानिस्तान में जो हालात हैं और पाकिस्तान जो भूमिका निभा रहा है, वह भारत के लिए अच्छा संदेश नहीं है. इसके साथ ही रुबियो ने यह सच्चाई स्वीकारने में भी देर नहीं लगाई कि अमेरिका के कई विभाग पाकिस्तान की भूमिका को अनदेखा करने के दोषी हैं.

यह भी पढ़ेंः Time Magazine: विश्व के 100 प्रभावशाली लोगों में PM मोदी का नाम

भारत भी फिलहाल साधे है इस मामले पर चुप्पी
भारत में रणनीतिक मामलों के जानकार स्वीकार करते हैं कि भारत इतनी आसानी से अमेरिकी बेस की अनुमति नहीं देगा.  हालांकि बदली परिस्थितियों में चर्चा बहुत से विकल्पों पर हो, ऐसा संभव है. इसकी बड़ी वजह यही है कि आतंकवाद भारत और अमेरिका के लिए केंद्रीय मुद्दा है. भारत ने लगभग सभी अंतरराष्ट्रीय मंचों पर आतंकवाद को लेकर अपनी बात को प्राथमिकता में बनाए रखा है. यह अलग बात है कि ब्लिंकन के बयान के बाद देश में इस मामले को लेकर विपक्ष ने केंद्र सरकार को घेरना शुरू कर दिया है. कांग्रेस ऐसे किसी कदम को भारत की संप्रभुता का उल्लंघन करार दे रही है. यह तब है जब केंद्र सरकार ने इन खबरों को लेकर अपना पक्ष साफ नहीं किया है. फिर भी भविष्य में ऐसी कोई रणनीति बने तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए, क्योंकि अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को चीन-पाकिस्तान के समर्थन से भारत की संप्रभुत्ता औऱ सुरक्षा को लेकर चुनौतियां पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई हैं. 

HIGHLIGHTS

  • अमेरिकी विदेश मंत्री एंटोनी ब्लिंकन के बयान से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में उफान
  • केंद्र की मोदी सरकार ने भी हालांकि ऐसी संभावना पर साफ नहीं किया है पक्ष
  • आतंक के खिलाफ अब भारत ही बनेगा केंद्रीय धुरी इतना तो हो गया है तय
पीएम नरेंद्र मोदी भारत taliban अजित डोभाल afghanistan एस जयशंकर एंटोनी ब्लिंकन PM Narendra Modi अफगानिस्तान Modi Government आतंक पर जंग अमेरिका INDIA तालिबान America पाकिस्तान ajit doval Indo Pacific pakistan मोदी सरकार S Jaishankar Antony Blinken terror
Advertisment
Advertisment
Advertisment