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उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी बोले, यूनिवर्सिटी की स्वतंत्रता पर पाबंदी ठीक नहीं, नयापन और उदार मूल्यों को मिले जगह

उपराष्ट्रपति बोले, असहमति और आंदोलन के अधिकार तो हमारे संविधान के मौलिक अधिकारों में हैं।

Updated on: 25 Mar 2017, 07:08 PM

highlights

  • उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने यूनिवर्सिटी में बदल रहे माहौल को चिंताजनक बताया है
  • विश्वविद्यालयों की स्वतंत्रता को चुनौती दी जा रही है
  • विश्वविद्यालयों को अपनी सैद्धांतिक अखंडता और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए हर कानूनी तरीका अपनाना चाहिए

 

नई दिल्ली:

उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने पंजाब यूनिवर्सिटी के 66वें दीक्षांत समारोह के दौरान यूनिवर्सिटी में बदल रहे माहौल को चिंताजनक बताया है। उन्होंने आगे कहा कि देश में घटी हाल की कुछ घटनाओं से यह पता चलता है कि इस बात को लेकर काफी भ्रम का स्थिति है कि एक यूनिवर्सिटी को कैसा होना चाहिए या नहीं होना चाहिए।

उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी की स्वतंत्रता को 'जनहित के आधार पर संकीर्ण मानसिकताओं' द्वारा चुनौती दी जा रही है। यूनिवर्सिटी में नयापन और उदार मूल्यों को जगह मिलनी चाहिए ताकि सामाजिक गतिशीलता और समानता का मार्ग प्रशस्त हो सके।

उपराष्ट्रपति ने देश के संविधान और लोकतंत्र का हवाला देते हुए कहा कि असहमति और आंदोलन के अधिकार तो हमारे संविधान के मौलिक अधिकारों में हैं। जो कि भारत जैसे विविधता पूर्ण देश को संकीर्ण समुदायिक, वैचारिक या धार्मिक मानदंडों पर परिभाषित करने से रोकते हैं।

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उन्होंने आगे कहा कि किसी गैरकानूनी आचरण या हिंसा के अलावा अन्य किसी भी परिस्थिति में एक यूनिवर्सिटी को खामोश नहीं रहना चाहिए। न ही उसके शिक्षकों या छात्रों को किसी विशेष विचारधारा वालों का समर्थन या खंडन करने के लिए प्रभावित करना चाहिए। यूनिवर्सिटी को अपनी सैद्धांतिक अखंडता और स्वतंत्रता की रक्षा के लिए हर कानूनी तरीका अपनाना चाहिए।

हाल ही में DU के रामजस कॉलेज और JNU की कुछ घटनाओं को ध्यान में रखा जाए तो उपराष्ट्रपति का यह बयान काफी महत्वपूर्ण है।

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