भारत में केवल एक राष्ट्रपिता नहीं हो सकता...गांधी पर सावरकर के पोते का बयान
वीर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने महात्मा गांधी को लेकर बड़ा बयान दिया है. रंजीत सावरकर ( Ranjit Savarka ) ने कहा कि मैं महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता नहीं मानता
नई दिल्ली:
वीर सावरकर के पोते रंजीत सावरकर ने महात्मा गांधी को लेकर बड़ा बयान दिया है. रंजीत सावरकर ने कहा कि मैं महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता नहीं मानता. उन्होंने भारत जैसे देश में केवल एक राष्ट्रपिता नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि हजारों ऐसे लोगों को भुला दिया गया है, जिन्होंने देश के लिए बड़े-बड़े बलिदान दिए हैं. आपको बता दें कि रंजीत सावरकर ने एआईएमआईएम के अध्यक्ष असुद्दीन ओवैसी ( AIMIM's Asaduddin's Owaisi ) के उस बयान पर पलटवार किया है, जिसमें उन्होंने वीर सावरकर को लेकर टिप्पणी की थी.
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#WATCH | "...I don't think Gandhi is the father of nation. Country like India cannot have one father of the nation, there are thousands who have been forgotten...," says Ranjit Savarkar, grandson of Veer Savarkar on AIMIM's Asaduddin's Owaisi's Savarkar as father of nation remark pic.twitter.com/5vJ2oN5jVK
— ANI (@ANI) October 13, 2021
आपको बता दें कि वीर सावरकर को लेकर सियासी बयानबाजी तेज हो चली है. संघ प्रमुख मोहन भागवत और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को एक बयान में कहा था कि वीर सावरकर को बदनाम करने के लिए देश की आजादी के बाद से ही एक मुहिम चलाई जा रही है. इस पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने निशाना साधा. उन्होंने कहा कि इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है. अगर ऐसा ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं जब महात्मा गांधी की बजाय सावरकर को राष्ट्रपिता बना दिया जाएगा. ओवैसी यहीं नहीं रुके थे, उन्होंने आगे कहा था कि वीर सावरकर ने अपनी रिहाई के लिए अंग्रेजों को माफीनामे की चिट्ठी लिखी थीं. यही नहीं सावरकर पर महात्मा गांधी की हत्या के षड़यंत्र में शामिल होने के आरोप भी थे.
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वहीं, महाराष्ट्र में विधानसभा में विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि हिंदू महासभा के नेता वीर सावरकर ने कई लोगों के लिए दया याचिका तैयार करने में मदद की, लेकिन उन्होंने 'दूसरों के आग्रह के बाद ही' अपने लिए एक याचिका लिखी. उन्होंने डाबोलिम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से कहा, "अब यह स्पष्ट हो गया है, क्योंकि स्वतंत्रता वीर सावरकर ने कई लोगों की याचिकाएं तैयार की थीं, लेकिन उन्होंने अपनी याचिका तैयार नहीं की. उन्होंने ऐसा तभी किया जब दूसरों ने जोर दिया. यह इतिहास का हिस्सा है."
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