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Ukraine Russia war: राज्यसभा में बोले विदेश मंत्री,  हमने सुरक्षित निकाल लिए हैं 22500 से ज्यादा छात्र

रूस और यूक्रेन के सैनिकों के बीच आज यानी मंगलवार को 20वें दिन भी संघर्ष जारी है. रूसी सैनिक अब भी यूक्रेन की धरती जमीन, आसमान और समुद्र से तबाही मचा रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर यूक्रेनी सेना ने भी मोर्चा संभाला हुआ है.

Updated on: 15 Mar 2022, 05:22 PM

highlights

  • यूक्रेन मामले पर राज्यसभा में बोले विदेश मंत्री एस. जयशंकर
  • एयरस्पेस बंद होने से छात्रों को निकालने में आई दिक्कत
  • 22500 से ज्यादा भारतीय छात्र निकाले जा चुके हैं सुरक्षित

नई दिल्ली:

रूस और यूक्रेन के सैनिकों के बीच आज यानी मंगलवार को 20वें दिन भी संघर्ष जारी है. रूसी सैनिक अब भी यूक्रेन की धरती जमीन, आसमान और समुद्र से तबाही मचा रहे हैं. वहीं, दूसरी ओर यूक्रेनी सेना ने भी मोर्चा संभाला हुआ है. युद्धग्रस्त यूक्रेन में 20 हजार से भी ज्यादा भारतीय फंसे हुए थे, जिन्हें निकालना एक बड़ी चुनौती थी. पूरे देश की निगाहें यूक्रेन में फंसे भारतीयों पर लगी थी. इस मामले में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मंगलवार को राज्यसभा विस्तार से जानकारी दी. उन्होंने बताया कि युद्ध प्रभावित यूक्रेन से 22,500 से ज्यादा भारतीय स्वदेश लौट चुके हैं. उन्होंने राज्यसभा में बताया कि यूक्रेन में चल रहे युद्ध से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद भारत ने अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की है.


 राज्यसभा में बोलते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री के निर्देश पर हमने ऑपरेशन गंगा की शुरुआत की. उन्होंने बताया कि भारतीय पूरे  यूक्रेन में बिखरे हुए थे. वे सभी रसद तक की चुनौतियों का सामना कर रहे थे. यूक्रेन और रूस के बीच जारी इस युद्ध ने 20,000 से भी अधिक भारतीय समुदाय को सीधे तौर पर खतरे में डाल दिया था. उन्होंने संसद को बताया कि जब हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में वहां के हालात पर वैश्विक स्तर पर विचार-विमर्श कर रहे थे, तब हमारे ऊपर अपने नागरिकों की सुरक्षा के साथ ही यह भी सुनिश्चित करने की चुनौती थी कि उन्हें कोई दिक्कत न हो.

विदेश मंत्री ने संसद को बताया कि भारतीय दूतावास ने 15, 20 और 22 फरवरी को एडवाइजरी जारी कर भारतीय नागरिकों और छात्रों को यूक्रेन से निकल जाने की सलाह दी थी. लगातार जारी की जा रही एडवाइजरी के बाद भी बड़ी संख्या में छात्र वहां से नहीं निकल रहे थे. इन छात्रों को इस बात का डर था कि उनकी पढ़ाई अधूरी ना रह जाए. उन्होंने कहा कि जब यूक्रेन में हालात खराब हुए तो वहां पर 18000 से अधिक भारतीय छात्र फंसे हुए थे. इसके मद्देनजर भारत सहित यूक्रेन एंबेसी में भी कॉल सेंटर स्थापित किए गए थे. उन्होंने बताया कि छात्रों को निकालने में दिक्कत एयरस्पेस के बंद होने की वजह से हुई. विदेश मंत्री ने बताया कि युद्ध छिड़ने माहौल खराब हो जाने की वजह से यूक्रेन का एयर स्पेस बंद हो गया था. इसलिए छात्रों को पड़ोसी देशों के जरिए निकाला गया. उन्होंने बताया कि यूक्रेन में पैसे भारतीयों को पड़ोसी देशों की सीमा से निकालने का फैसला लिया गया. इस ऑपरेशन को सफल बनाने के लिए बड़ी संख्या में सरकार से जुड़े मंत्रियों और अधिकारियों को पड़ोसी देशों की सीमाओं पर भेजा गया. फिर जाकर भारतीयों की वतन वापसी हो पाई.