ट्रिपल तलाक: भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन ने कहा, नया कानून से कम कुछ भी मंजूर नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को ट्रिपल तलाक को अवैध ठहराते हुए इस पर बैन लगा दिया था।
highlights
- ट्रिपल तलाक पर नया कानून से कम कुछ भी स्वीकार नहीं: भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन
- संसद के इस शीतकालीन सत्र में ट्रिपल तलाक पर नया कानून बना सकती है केंद्र सरकार
नई दिल्ली:
संसद के इस शीतकालीन सत्र में केंद्र सरकार ट्रिपल तलाक पर नया कानून ला सकती है। लेकिन इससे पहले ट्रिपल तलाक के खिलाफ मुहिम चलाने वाली एक मुस्लिम सामाजिक कार्यकर्ता ने कहा है कि मुस्लिम पर्सनल लॉ में बदलाव और नया कानून से कम उन्हें कुछ भी मंजूर नहीं है।
ट्रिपल तलाक के खिलाफ नूरजहां साफिया नियाज भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (BMMA) के जरिए मुस्लिम महिलाओं को जागरुक करने का काम करती हैं। वो इस संस्था की सह संस्थापक भी हैं।
साफिया नियाज ने कहा, 'ट्रिपल तलाक के लिए सिर्फ आईपीसी में बदलाव करना ही काफी नहीं है।' सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को ट्रिपल तलाक को अवैध ठहराते हुए इस पर बैन लगा दिया था। कोर्ट के इस पर बैन लगाए जाने के बाद भी आए दिन ट्रिपल तलाक के नए मामले सामने आ रहे हैं।
नियाज ने कहा, 'हम ट्रिपल तलाक पर एक सुव्यवस्थित कानून चाहते हैं जिसकी विधायिका के जरिए सुरक्षा होनी चाहिए। इस कानून में बहुविवाह, निकाह, हलाला, शादी की न्यूनतम उम्र जैसे मामलों में महिलाओं के अधिकार और सुरक्षा सुनिश्चित हों। हमारी यह मांगें आईपीसी के अंतर्गत नहीं आती हैं।'
इसके साथ ही साफिया नियाज ने कहा, 'ये नया कानून न सिर्फ काफी व्यापक होना चाहिए बल्कि कुरान और संविधान के मुताबिक भी होना चाहिए।' बीते अगस्त महीने में ट्रिपल तलाक पर सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला सुनाया था उसमें भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन भी एक याचिकाकर्ता के रूप में था।
साफिया नियाज ने कहा, 'भले ही केंद्र सरकार एक समान नागरिक संहिता लागू करने की योजना बना रही हो लेकिन इससे पहले मुस्लिम पर्सनल लॉ में महिलाओं के लिए व्यापक हितों पर चर्चा होनी चाहिए। इसके साथ ही इस मुद्दे पर मुस्लिम महिलाओं में लंबी बहस भी होनी चाहिए।'
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साफिया नियाज की ये संस्था देश के करीब 10 राज्यों में ट्रिपल तलाक के खिलाफ मुहिम चला रही है। एक सर्वे के मुताबिक 90 फीसदी मुस्लिम महिलाएं बोलकर ट्रिपल तलाक देने और बहुविवाह के खिलाफ हैं।
सर्वे के मुताबिक 83 फीसदी महिलाएं इस बात को मानती हैं कि मुस्लिम पर्सनल लॉ में बदलाव होने से उन्हें इंसाफ मिल सकता है। ये सर्वे करीब 4449 लोगों पर किया गया है।
गौरतलब है कि ट्रिपल तलाक पर नया कानून बनाने के लिए मंत्रियों के एक समूह ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा है। इस प्रस्ताव में ट्रिपल तलाक को लेकर मौजूदा दंड प्रावधानों में संशोधन और उसे अपराध के दायरे में रखने की सलाह दी है।
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