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Chamoli Tragedy: पैंग से लेकर तपोवन तक अर्ली वार्निंग सिस्टम

ऋषिगंगा (Rishiganga) के मुहाने पर बनी झील के पानी से फिलहाल कोई खतरा न हो इसके लिए प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए हुए है.

Updated on: 14 Feb 2021, 09:51 AM

highlights

  • तेजी से चल रहा है चमोली में बचाव कार्य
  • चट्टानों से बनी झील के रिसते पानी पर नजर
  • अर्ली वार्निंग सिस्टम भी करेगा मदद

रेणी:

ऋषिगंगा (Rishiganga) के मुहाने पर बनी झील के पानी से फिलहाल कोई खतरा न हो इसके लिए प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए हुए है. राज्य सरकार के मुताबिक लगातार राज्य आपदा प्रतिवादन बल उत्तराखंड (Uttarakhand) सतर्क है व राहत एवं बचाव कार्यों में लगा हुआ है. पैंग से लेकर तपोवन तक एसडीआरएफ द्वारा मैन्युअली अर्ली वार्निंग सिस्टम विकसित किया गया है. पैंग, रैणी व तपोवन में एसडीआरएफ की एक एक टीम तैनात की गई हैं. उत्तराखंड के प्रभावित इलाके में किसी भी स्थिति से निपटने के लिए नई रणनीति तैयार की गई है. इसके अंतर्गत दूरबीन, सैटेलाइट फोन व पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम से लैस एसडीआरएफ की टीमें किसी भी आपातकालीन स्थिति में आसपास के गांव के साथ जोशीमठ तक के क्षेत्र को सतर्क कर देंगी.

गांवों में टीमें तैनात
एसडीआरएफ की टीमों द्वारा उस क्षेत्र का निरीक्षण भी किया गया, जहां झील बनी है. एसडीआरएफ मुताबिक इससे फिलहाल खतरा नहीं है. रिदिम अग्रवाल, अपर मुख्य कार्यकारी अधिकारी, उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण एवं डीआईजी एसडीआरएफ ने बताया कि एसडीआरएफ की टीमें लगातार सैटेलाइट फोन के माध्यम से सम्पर्क में हैं. एसडीआरएफ अर्ली वार्निंग सिस्टम टीम के अंतर्गत पहली टीम पैंग गांव में तैनात की गई है. इस टीम में 3 कर्मचारी तैनात कर्मचारी तैनात किए गए हैं. दूसरी टीम रैणी गांव मैं तैनात की गई है और तीसरी टीम तपोवन गांव में कार्यरत है.

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जल स्तर बढ़ने पर मिल जाएगी तुरंत सूचना
पैंग गांव से तपोवन की कुल दूरी 10.5 किलोमीटर है. उत्तराखंड प्रशासन के मुताबिक यदि किसी भी प्रकार से जल स्तर बढ़ता है तो ये अर्ली वार्नंग एसडीआरएफ की टीमें तुरंत सूचना प्रदान करेंगी. ऐसी स्थिति में नदी के पास के इलाकों को 5 से 7 मिनट के अंदर तुरंत खाली कराया जा सकता है. एसडीआरएफ के दलों ने रैणी से ऊपर के गांव के प्रधानों से भी समन्वय स्थापित किया है. जल्द ही दो तीन दिनों में आपदा प्रभावित क्षेत्रों में अर्ली वार्निंग सिस्टम लगा दिया जाएगा, जिससे पानी का स्तर डेंजर लेवल पर पहुंचने पर आम जनमानस को सायरन के बजने से खतरे की सूचना मिल जाएगी. इस बारे में एसडीआरएफ की ये टीमें ग्रामीणों को जागरूक भी कर रही हैं.

ऋषिगंगा नदी का सर्वेक्षण
उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने से आए सैलाब के बाद अलर्ट जारी किए जाने के बीच राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (एसडीआरएफ) की आठ सदस्यीय टीम ने अशांत ऋषिगंगा नदी के जलग्रहण क्षेत्र में एक झील का सर्वेक्षण किया. उत्तराखंड के चमोली जिले में सात फरवरी को ग्लेशियर टूटने की वजह से ऋषिगंगा नदीं का जलस्तर काफी बढ़ गया था, जिसके बाद आए सैलाब ने काफी कहर बरपाया. एसडीआरएफ कमांडेंट नवनीत भुल्लर की अगुवाई वाली टीम इलाके के वीडियो फिल्माने के अलावा झील से नमूने एकत्र करने के बाद शनिवार शाम चमोली जिले के रैणी गांव लौटी.

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झील से रिसाव जारी
भुल्लर ने कहा, 'हम इन नमूनों और वीडियो को आगे की कार्रवाई के लिए देहरादून के पुलिस मुख्यालय भेजेंगे.' एसडीआरएफ की टीम, जिसने शुक्रवार सुबह झील के लिए अपनी ट्रैकिंग शुरू की थी, उसे वहां तक पहुंचने में लगभग 13 से 14 घंटे लगे, जहां उन्होंने शुक्रवार शाम को एक अस्थायी शिविर स्थापित किया. भुल्लर ने कहा कि झील से रिसाव हो रहा है. हालांकि उन्होंने रिसाव के मुद्दे पर आगे टिप्पणी करने से इंकार कर दिया और कहा कि यह वैज्ञानिकों पर निर्भर है कि वे इसका ध्यान रखें. भुल्लर ने कहा, 'हमने झील के लिए एक उचित मार्ग भी ढूंढ लिया है, जो भविष्य में किसी भी आपात स्थिति में मदद कर सकता है.'