logo-image

तमिलनाडु: स्पीकर ने 19 विधायकों से मांगा जवाब, पूछा- उन्हें अयोग्य करार क्यों न दे दिया जाए

सभी 19 विधायक भ्रष्टाचार के मामले में जेल में बंद पार्टी महासचिव वी. के. शशिकला और उनके भतीजे टी. टी. वी. दिनाकरन के गुट के हैं।

Updated on: 24 Aug 2017, 11:26 PM

नई दिल्ली:

तमिलनाडु में सत्तारूढ़ ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) में चल रही गुटबाजी ने गुरुवार को नया मोड़ ले लिया। पार्टी के अनुरोध पर विधानसभा अध्यक्ष पी. धनपाल ने बागी दिनाकरन गुट के 19 विधायकों से जवाब मांगा है कि उन्हें अयोग्य करार क्यों न दे दिया जाए।

ये 19 विधायक भ्रष्टाचार के मामले में जेल में बंद पार्टी महासचिव वी. के. शशिकला और उनके भतीजे टी. टी. वी. दिनाकरन के गुट के हैं।

पार्टी के मुख्य सचेतक एस. राजेंद्रन द्वारा विधानसभा अध्यक्ष से मुख्यमंत्री के. पलनीस्वामी का विरोध करने वाले इन 19 विधायकों को अयोग्य करार दिए जाने की मांग के कुछ ही देर बाद विधानसभा अध्यक्ष ने यह नोटिस जारी की है।

विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों ने एक सप्ताह के अंदर जवाब देने के लिए कहा है।

मुख्यमंत्री पलनीस्वामी और पूर्व मुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम वाले धड़ों के विलय से नाराज दिनाकरन गुट के इन 19 विधायकों ने राज्यपाल सी. विद्यासागर राव को मुख्यमंत्री से समर्थन वापसी का ज्ञापन सौंप दिया है।

इंफोसिस में नंदन नीलेकणि की वापसी, बने बोर्ड के नये चेयरमैन

एआईएडीएमके के मुख्य सचेतक राजेंद्रन ने कहा कि मुख्यमंत्री से समर्थन वापस लेकर बागी विधायकों ने दल-बदल कानून का उल्लंघन किया है। मुख्य सचेतक की इस मांग पर दिनाकरन गुट के इन विधायकों ने तत्काल प्रतिक्रिया दी है, जिन्हें इस समय पुदुचेरी के किसी रिसॉर्ट में रखा गया है।


गुट के एक प्रवक्ता ने कहा है कि इस कदम का उद्देश्य और पार्टी विधायकों को दिनाकरन गुट से जुड़ने से रोकना है। विपक्षी दलों की ओर से मुख्यमंत्री को विधानसभा में बहुमत साबित करने की मांग आने के बाद पार्टी ने यह कदम उठाया है।

एआईएडीएमके के पास इस समय 134 विधायकों का समर्थन है, लेकिन दिनाकरन गुट द्वारा समर्थन वापस लिए जाने की स्थिति में यह संख्या 115 ही रह जाएगी।

पीएम मोदी ने किसानों को दिलाया भरोसा, 2022 तक आय होगी दोगुनी

तमिलनाडु की 234 सदस्यीय विधानसभा में पूर्व मुख्यमंत्री जे. जयललिता के निधन के बाद से एक सीट खाली चल रही है। इस तरह 233 सदस्यों के बीच डीएमके के पास 89 विधायक हैं, कांग्रेस के पास आठ और आईयूएमएल के पास एक विधायक।

विधानसभा अध्यक्ष पी. धनपाल तभी मतदान में हिस्सा ले सकते हैं, जब दो पक्षों के पास बराबर संख्या में विधायकों का समर्थन हो।

इस बीच मद्रास उच्च न्यायालय में एक वकील की ओर से एक याचिका दायर की गई है, जिसमें अदालत से राज्यपाल को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि मुख्यमंत्री विधानसभा में बहुमत साबित करें।

सोनिया गांधी ने कहा- राइट टू प्राइवेसी पर SC का फैसला नए युग की शुरुआत