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मंकी पॉक्स पर  DGHS की बैठक में सभी राज्यों को दिए गए ये खास सुझाव

दिल्ली में मंकी पॉक्स का पहला और देश का चौथा मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य महानिदेशक ने रविवार को एक उच्च स्तरीय बैठक की है. जॉइंट मॉनिटरिंग ग्रुप की बैठक में राज्यों को कई सुझाव दिए गए. इसके साथ ही दिल्ली सरकार को विशेष तौर पर निर्देश दिया गया.

Updated on: 24 Jul 2022, 07:21 PM

नई दिल्ली:

दिल्ली में मंकी पॉक्स का पहला और देश का चौथा मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य महानिदेशक ने रविवार को एक उच्च स्तरीय बैठक की है. जॉइंट मॉनिटरिंग ग्रुप की इस बैठक में राज्यों को कई सुझाव दिए गए. इसके साथ ही दिल्ली सरकार को विशेष तौर पर निर्देश दिया गया है कि इस मरीज के संपर्क में आए लोगों की निगरानी की जाए. न्यूज़ नेशन से बात करते हुए आज LNJP हॉस्पीटल के डायरेक्टर डॉक्टर सुरेश ने बताया कि इस व्यक्ति की कॉन्टेक्ट की पूरी ट्रेसिंग की जाएगी, उन्होंने कहा कि जिन लोगों को ट्रेस किया जाएगा, उनकी रिपोर्ट भी जल्द ही सामने आ जाएगी. 

मरीज से संबंध रखने वालों की ट्रेसिंग इसलिए है जरूरी
दरअसल, मंकीपॉक्स किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर के नजदीकी संपर्क में आने या वायरस से दूषित चीजों के जरिए से ये इंसानों में फैलता चला जाता है. ऐसा माना जाता है कि यह चूहों और गिलहरियों जैसे जानवरों के जरिए भी फैलता है. यह संचारी बीमारी  घावों, शरीर के तरल पदार्थ, थूक की बूंदों और दूषित सामग्री जैसे मरीज के बिस्तर के जरिए से फैलता है. हालांकि, यह वायरस चेचक की तुलना में कम संक्रामक है. स्वास्थ्य विभाग से जुड़े अफसरों का कहना है कि इनमें से कुछ संक्रमण यौन संपर्क के माध्यम से संचालित हो सकते हैं. गौरतलब है कि मंकी पॉक्स को WHO ने वैश्विक महामारी घोषित कर दिया है. 

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ये हैं  मंकी पॉक्स के लक्षण
मंकीपॉक्स वायरस के बारे में जानकारी देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि मंकीपॉक्स से संक्रमित मरीजों को तेज बुखार, त्वचा पर चकत्ते (चेहरे से शुरू होकर हाथ, पैर, हथेलियों और तलवों तक) पड़ते हैं. मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित व्यक्ति को सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, थकावट, गले में खराश और खांसी इसके मुख्य लक्षण हैं. वहीं, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक मंकीपॉक्स आमतौर पर बुखार, दाने और गांठ के जरिये उभरता है और इससे कई प्रकार की चिकित्सा जटिलताएं पैदा हो सकती हैं. रोग के लक्षण आमतौर पर दो से चार सप्ताह तक दिखते हैं, जो अपने आप दूर होते चले जाते हैं. हालांकि, कुछ लोगों के लिए यह जानलेवा भी हो सकता है. फिलहाल, मंकीपॉक्स से मृत्यु दर का अनुपात लगभग 3-6 प्रतिशत है.  लेकिन, डब्ल्यूएचओ का मनना है कि जिस तेजी से यह बीमारी फैल रही है. यह 10 प्रतिशत तक हो सकता है. संक्रमण के वर्तमान प्रसार के दौरान मौत का कोई मामला सामने नहीं आया है. मंकीपॉक्स वायरस से संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के 21 दिनों में अगर इनमें से कोई लक्षण दिखता है टी तुरंत डॉ. की चिकित्सीय सलाह लेनी चाहिए.