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एंबुलेंस की जगह चारपाई पर मरीज को ले गए, वीडियो वायरल

21वीं सदी के भारत में अगर किसी मरीज को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस की जगह चारपाई पर लेटाकर उसे ले जाने की मजबूरी हो तो इसे विडंबना और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता ही कहा जाएगा.

Updated on: 24 Aug 2020, 12:21 AM

नई दिल्ली:

21वीं सदी के भारत में अगर किसी मरीज को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए एम्बुलेंस की जगह चारपाई पर लेटाकर उसे ले जाने की मजबूरी हो तो इसे विडंबना
और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की उदासीनता ही कहा जाएगा. दरअसल, सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरें वायरल हो रही हैं, जिसमें कुछ ग्रामीण मरीज को कंधे पर लादकर चारपाई पर अस्पताल ले जाने को मजबूर दिखाई दे रहे हैं.

बुन्देलखंड के ललितपुर जिले में आजादी के 74 साल बाद भी एक गांव के ग्रामीणों को अपने गांव तक पहुंचने के लिए कीचड़ और पानी से भरे नाले को पैदल ही पार करना पड़ता है. बरसात का मौसम आते ही गांव के ग्रामीण बदहाल जीवन जीने को मजबूर हो जाते हैं. पाली तहसील ब्लॉक बिरधा का यह गांव रमपुरा जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.

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जहाँ 400 ग्रामीणों की आबादी वाले गांव में विकास के नाम पर आज तक एक पक्की सड़क भी नहीं पहुंची है. जिसके चलते ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. अब आलम यह है कि बरसात का मौसम आते ही गांव तक पहुंचने वाले सारे रास्तों में पड़ने वाले नाले पानी से भर जाते हैं, जिसकी वजह से जिला मुख्यालय से यहां का संपर्क तक कट जाता है.

ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें स्वास्थ सेवाओं के लिये भी परेशान होना पड़ता है. अगर कोई गंभीर रूप से बीमार हो जाये या फिर कोई गर्भवती महिला को प्रसव के
लिए ले जाना पड़े तो उसके लिए एम्बुलेंस गांव तक नहीं पहुंच सकती है. ऐसे में उन्हें मरीज को चारपाई पर लेटाकर 3 किलोमीटर दूर तक ले जाना पड़ता है तब उन्हें कोई वाहन मिल पाता है.

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वहीं स्कूल जाने वाले ग्रामीण छात्र छात्रायें पानी से भरे नाले में अपनी जान जोखिम में डालकर जाने को मजबूर रहते हैं. ऐसा नहीं है कि अब तक गांव के लोगों ने किसी जनप्रतिनिधि या जिले के आलाधिकारियों से इस समस्या को लेकर शिकायत या प्रदर्शन नहीं किया. पीड़ित ग्रामीणों को होने वाली समस्याओं की शिकायत कई बार जिले के आला अधिकारियों से कर चुके हैं मगर शिकायतों के बावजूद अब तक ग्रामीणों को सिर्फ आश्वासन ही मिलता आया है. लेकिन 400 आबादी वाले ग्रामीणों को अभी तक पक्की सड़क नहीं मिल सकी.