सोशल मीडिया के जरिए ऐसे हो रही है ठगी, हो जाएं तुरंत सतर्क

फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अंजान की दोस्ती जी का जंजाल होने के साथ कंगाल भी कर रही है. दिल्ली पुलिस शाहदरा डिस्ट्रिक्ट की साइबर सेल ने एक ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है जो फेसबुक पर सुंदर लड़कियों के फोटो के सहारे फेक प्रोफाइल बनाता.

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Yogendra Mishra
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प्रतीकात्मक फोटो।( Photo Credit : फाइल फोटो)

फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अंजान की दोस्ती जी का जंजाल होने के साथ कंगाल भी कर रही है. दिल्ली पुलिस शाहदरा डिस्ट्रिक्ट की साइबर सेल ने एक ऐसे गैंग का पर्दाफाश किया है जो फेसबुक पर सुंदर लड़कियों के फोटो के सहारे फेक प्रोफाइल बनाता और अच्छे प्रोफाइल के लोगों को टारगेट करता. ये लोग साइंटिस्ट और डॉक्टर को भी चूना लगा चुके थे.

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इस गैंग के दो युवक और एक युवती अरेस्ट हुए हैं. चौंकाने वाली बात यह है कि आरोपियों का खुद का प्रोफाइल भी कम नहीं है. दोनों युवक बी.टेक हैं, लेकिन मैकेनिकल इंजीनियर होने के बावजूद रुपये कमाने के लिए साइबर क्राइम का रास्ता अख्तियार कर चुके थे.

पुलिस की मानें तो यह गिरोह पहले टारगेट को सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म पर फ्रेंड जिसे प्यार इकरार तक पहुंचाते भी देर नहीं लगती. विश्वास जीतने के लिए आरोपी युवती खुद फोन पर बात भी कर लेती. उसके बाद टारगेट के साथ इमोश्नल ब्लैकमेल का सिलसिला शुरू करता. कहानी कुछ ऐसे गूंथते थे जैसे उसे अचानक रुपयों की जरूरत है. किसी से कहती- उसे एडमिशन के लिए लाख रुपये चाहिए पापा कैश ट्रांसफर नहीं कर पा रहे. इस तरह की कहानियां गढ़कर टारगेट से अपने अकाउंट में रुपये ट्रांसफर करवा लेते. उसके बाद प्रोफाइल बंद हो जाता.

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पुलिस की मानें तो इस गैंग ने मिलकर फेसबुक पर डॉक्टर और साइंटिस्ट प्रोफाइल वालों को बेवकूफ बनाकर चूना लगाया था. तीनों को फिलहाल न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है. गिरफ्तारी के दौरान तीनों से पांच मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं.

साइबर सेल के एक सब इंस्पेक्टर ने बताया कि जीटीबी अस्पताल के एक डॉक्टर ने साइबर सेल को शिकायत दी कि बीते जुलाई में उन्हें एक अंजान युवती की जिसने खुद को स्टूडेंट बताया. उनके बीच चैटिंग पर दोस्ताना बातें होने लगीं. युवती ने उनका विश्वास जीत लिया था. एक दिन उसने बताया कि उसके पिता की डेथ हो गई जल्द रुपये लौटा देगी. इस तरह उसने डॉक्टर को इमोशनल करके पे-टीएम और गूगल अकाउंट के जरिए एक लाख से ज्यादा रुपये ट्रांसफर करवा लिए. उसके बाद संपर्क खत्म कर दिया.

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डीसीपी अमित शर्मा ने बताया कि ठगी के शिकार हुए डॉक्टर की शिकायत पर साइबर टीम ने आईटी एक्ट के तहत केस दर्ज करके छानबीन शुरू की तो नंबर जाली आईडी के निकले. फिर भी पुलिस टीम टेक्नीकल सर्विलांस और ग्राउंड लेवल पर काम करते-करते आरोपियों तक पहुंच गई.

फेक प्राफाइल के जरिए ठगी करने वालों की पहचान मैकेनिकल इंजीनियर सतेंद्र और जितेंद्र के तौर पर हुई. उनकी साथी नीलम भी पकड़ी गई थी. सतेंद्र और जितेंद्र लक्ष्मी नगर में एसएससी की तैयारी के दौरान नीलम से मिले थे. तभी इनकी तिगड़ी बन गई थी.

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