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सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा- राजधानी में ऑक्सीजन का ऑडिट हो, दिल्ली सरकार ने किया विरोध

गुरुवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ऑक्सीजन को लेकर दिल्ली ( Delhi ) के ऑडिट की मांग की, हालांकि राज्य सरकार की ओर से इसका विरोध किया गया.

Updated on: 07 May 2021, 03:50 PM

नई दिल्ली:

कोरोना वायरस ( Coronavirus ) महामारी के दौरान देश की राजधानी दिल्ली समेत अन्य राज्यों में ऑक्सीजन की मांग, केंद्र से हो रही आपूर्ति और अस्पतालों तक पहुंचाने में आ रही दिक्कत को समझने के लिए सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) एक ऑडिट कमिटी बनाने जा रही है. कोर्ट की यह बात उस वक्त कही गई, जब केंद्र सरकार ने दिल्ली में ऑक्सीजन ( Oxygen ) को लेकर वितरण व्यवस्था पर सवाल उठाए. गुरुवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में ऑक्सीजन को लेकर दिल्ली ( Delhi ) के ऑडिट की मांग की, हालांकि राज्य सरकार की ओर से इसका विरोध किया गया.

दिल्ली में ऑक्सीजन ऑडिट की मांग

सरकार की ओर से पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बुधवार को दिल्ली को 730 मीट्रिक टन ऑक्सीजन मिला. दिल्ली के पास अब अतिरिक्त सप्लाई है और दिल्ली उसे अनलोड नहीं कर पा रहा. अगर हम दिल्ली को ज्यादा सप्लाई देते रहेंगे तो दूसरे राज्यों को दिक्कत हो सकती है. सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि दिल्ली की 700 मीट्रिक टन की मांग सही नहीं लगती. इससे दूसरे राज्यों का नुकसान होगा. तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया गया कि दिल्ली के अस्पतालों में कुल स्टोरेज की क्षमता 478 मीट्रिक टन के करीब है. दिल्ली के अस्पतालों के पास स्टोरेज टैंक नहीं है.

उन्होंने कहा कि हमें चिंता है कि हम दूसरे राज्यों का 300 मीट्रिक टन भी दिल्ली को दे दे रहे हैं. उन राज्यों के प्रति भी हमारी जवाबदेही बनती है. ऑक्सीजन सप्लाई के बाद यह दिल्ली के जरूरतमंद लोगों तक नहीं पहुंच रहा. शायद दिल्ली के सप्लाई सिस्टम में कुछ दिक्कत है. तुषार मेहता ने कहा कि हम दूरदराज के गांवों पर भी चिंतित है. दिल्ली का ऑक्सीजन ऑडिट होना जरूरी है. किसी को सिर्फ इसलिए तकलीफ नहीं मिलनी चाहिए कि वह जोर से अपनी बात नहीं रख पा रहा.

कोर्ट ने किया कोविड की तीसरी लहर का जिक्र

इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आप कह रहे हैं कि अभी दिल्ली को 560 मीट्रिक टन ही मिल पाएगा. 700 मीट्रिक टन सोमवार  मई को मिल पाएगी. अभी से सोमवार तक कोई दिक्कत हुई तो क्या होगा? 700 मीट्रिक टन तो आपको देना ही पड़ेगा. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कोविड की तीसरी फेज का भी जिक्र किया. कोर्ट ने कहा कि अभी कोरोना की तीसरी लहर का भी सामना करना है. आज अगर हम तैयारी करेंगे तो कोविड का तीसरा फेज आने पर उससे बेहतर निपट सकेंगे. सिर्फ ये नहीं देखना है कि राज्यों को ऑक्सीजन मिले, हॉस्पिटल तक कैसे पहुंचे ये भी सुनिश्चित करना है. कोर्ट ने कहा कि तीसरी फेज में बच्चे भी प्रभावित हो सकते हैं.

इसके बाद सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि मैं एक बार फिर दोहरा देता हूं कि अगर हम दिल्ली को 700 मेट्रिक टन ऑक्सीजन देंगे तो ये दूसरे राज्यों का हिस्सा दिल्ली को देना होगा. अगर इसका बुरा नतीजा निकलता है तो हम जिम्मेदार नहीं होंगे. इस पर कोर्ट ने कहा कि आप जो भी दिल्ली को ऑक्सीजन सप्लाई करते हैं, उसका वितरण बेहतर हो, इसे सुनिश्चित करने का क्या प्लान है. जिसके बाद सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि ये राज्य सरकार की जिम्मेदारी होती है. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि हमें इलेक्ट्रॉनिक ICU पर भी विचार करना चाहिए. डेढ़ लाख डॉक्टर, ढाई लाख नर्स ने मेडिकल कोर्स पूरा कर लिया है. वो NEET का इतजार कर रहे हैं. वो खाली बैठे हैं आने वाली तीसरी लहर में उनका रोल अहम होगा.

दिल्ली सरकार ने ऑडिट का विरोध किया

गुरुवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से भी सवाल किए. कोर्ट ने दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील राहुल मेहरा पूछा कि केंद्र कह रहा है कि आप ऑक्सीजन उठा नहीं रहे. इससे टैंकर भी दिल्ली में ही फंस जा रहे हैं. इस पर आपका क्या जवाब है? इसके बाद सरकार के वकील राहुल मेहरा ने जवाब दिया कि दिल्ली के कई अधिकारी ऑक्सीजन वितरण देख रहे हैं. ऑक्सीजन लिफ्ट कर हॉस्पिटल तक पहुंचाना सप्लायर का काम होता है. राहुल मेहरा ने कहा कि हमारे पास कोई जादू की छड़ी नहीं है. ऑक्सीजन वितरण में समय लगता है. उन्होंने यह भी कहा कि जो टैंकर खाली हैं, उन्हें भी केंद्र सरकार नहीं उठा रही है.

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली के वकील राहुल मेहरा ने केंद्र सरकार की ऑक्सीजन ऑडिट की मांग का भी विरोध किया. उन्होंने कहा कि कहा पंजाब, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र समेत कई राज्यों उनकी मांग के बराबर या ज्यादा ऑक्सीजन दिया जा रहा है. मगर दिल्ली के बारे में कहा जा रहा है कि उसे ऑक्सीजन देने के लिए दूसरे राज्यों से कटौती करनी पड़ेगी. उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार से इस पर सुप्रीम कोर्ट लिखित हलफनामा ले. उन्होंने यह भी कहा कि अगर ऑडिट होना है तो पूरे देश का हो.