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थावर चंद गहलोत को मंत्रिमंडल से हटाने के पीछे क्या है गेम प्लान? बनाया गया कर्नाटक का गवर्नर 

थावर चंद गहलोत (Thawar Chand Gehlot) को कर्नाटक का गर्वनर (Governor of Karnataka) बनाने के पीछे प्रधानमंत्री मोदी ( PM Modi ) का कदम एक तीर से चार निशाने साधने वाला बताया जा रहा है

Updated on: 06 Jul 2021, 05:44 PM

highlights

  • केंद्रीय कैबिनेट विस्तार से पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बड़ा फैसला लिया
  • राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी आदेश में 8 राज्यों नए राज्यपाल की नियुक्ति की गई
  • थावर चंद को लेकर प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम एक तीर से चार निशाने साधने वाला

नई दिल्ली:

केंद्रीय कैबिनेट विस्तार (Union Cabinet Expansion) से पहले राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने बड़ा फैसला लिया है. राष्ट्रपति भवन की ओर से जारी आदेश में आठ राज्यों नए राज्यपाल की नियुक्ति की गई है. नवनियुक्त राज्यपालों में सबसे ज्यादा चर्चा अगर किसी के नाम पर है तो वो हैं थावर चंद गहलोत(Thawar Chand Gehlot). भाजपा के धुरंधर नेताओं में से एक थावर चंद गहलोत को कर्नाटक को राज्यपाल (Governor of Karnataka) बनाया गया है. थावर भाजपा में एक मजबूत दलित चेहरा माने जाते रहे हैं. क्योंकि राष्ट्रपति राज्यपाल की नियुक्ति में व्यावहारिक तौर पर प्रधानमंत्री से सलाह मशविरा करते हैं, इसलिए थावर की नियुक्ति के पीछे पीएम मोदी की किसी छिपी हुई मंशा के बारे में भी अनुमान लगाया जा सकता है.

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एक तीर से चार निशाने

दरअसल, थावर चंद गहलोत को लेकर प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम एक तीर से चार निशाने साधने वाला बताया जा रहा है. जिसका असर राज्यसभा, केंद्रीय मंत्रिमंडल, बीजेपी संगठन और कर्नाटक की राजनीति पर पड़ने वाला बताया जा रहा है. पीएम मोदी का यह कदम इस मायने में भी चौंकाने वाला माना जा रहा है, क्योंकि एक ओर जहां कैबिनेट विस्तार की बात की जा रही है, वही गहलोत जैसे प्रमुख चेहरों की मंत्रिमंडल से छुट्टी की जा रही है. समाज कल्याण एवं अधिकारिता मंत्री जैसे बड़े मंत्रालय की जिम्मेदार संभाल रहे थे. इसके साथ ही उनको पीएम मोदी का भी काफी नजदीकी माना जाता है. 

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थावर चंद गहलोत को राज्यसभा कोटे से मंत्री बनाया गया था

थावर चंद गहलोत को राज्यसभा कोटे से मंत्री बनाया गया था. भाजपा नेतृत्व ने उनको पहली बार 2012 और फिर 2018 में मध्य प्रदेश से राज्यसभा भेजा था. इसके साथ ही वह भाजपा संसदीय बोर्ड के मेंबर भी हैं. क्योंकि अब उनको राज्यपाल बनाया गया है तो ऐसे में उनको राज्यसभा, केंद्रीय मंत्री और भाजपा संसदीय बोर्ड से इस्तीफा देना होगा. इस तरह से थावर के राज्यपाल बनते ही तीन जगह खाली हो जाएंगी. जिसके बाद पा​र्टी इन तीनों जगहों पर तीन अलग-अलग नेताओं को नियुक्त कर सकेगी. वहीं, कर्नाटक में अंदरूनी ​खींचतान से दो-चार हो रही भाजपा को थावर के आने से कुछ राहत की मिलने की उम्मीद है.