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नगरौटा एनकाउंटर: मसूद अजहर के भाई 'अब्दुल रउफ असगर' ने रची थी भारतीय जमीन को दहलाने की साजिश

पुलवामा में बड़े पैमाने पर आतंकी हमले को अंजाम देने का जिम्मा पाकिस्तान सेना की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस द्वारा मौलाना मसूद अजहर के नेतृत्व वाले जैश-ए-मोहम्मद को दिया गया था. जिसमें उसका भाई अब्दुल रउफ असगर का प्रमुख हाथ था.

Updated on: 21 Nov 2020, 06:52 PM

नई दिल्ली :

भारतीय सुरक्षाबलों ने नगरौटा ऑपरेशन को अंजाम देकर पाकिस्तान की बड़ी साजिश को नाकाम कर दिया. 19 नवंबर को भारत को दहलाने की साजिश रचने के इरादे से जैश-ए-मोहम्मद के चार आतंकवादी नगरौटा क्षेत्र में घुस आए थे. ये आतंकवादी पुलवामा हमले की तरह आत्मघाती हमले को आंजाम देने की फिराक में थे. लेकिन भारतीय जवानों ने इन्हें इनके नापाक इरादों में कामयाब नहीं होने दिया और पहले ही मौत के घाट उतार दिए गए. 

पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी आईएसआई ने इन चारों आतंकवादियों को सांबा सेक्टर से भारत में घुसपैठ करवाया. एएनआइ ने सूत्रों के हवाले से बताया कि पुलवामा में बड़े पैमाने पर आतंकी हमले को अंजाम देने का जिम्मा पाकिस्तान सेना की इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस द्वारा मौलाना मसूद अजहर के नेतृत्व वाले जैश-ए-मोहम्मद को दिया गया था. जिसमें उसका भाई अब्दुल रउफ असगर का प्रमुख हाथ था.

अब्दुल रउफ असगर ने भारतीय सीमा के पास पाकिस्तान के जैश के शकरगढ़ कैंप से चार जिहादियों का चयन किया था. हमले की योजना बनाने के लिए जैश में एक अन्य आतंकवादी काजी तरार को भी असगर के साथ सौंपा गया था.

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सूत्रों ने बताया कि बहावलपुर में जैश मुख्यालय में एक बैठक भी हुई और इसमें उपरोक्त दो और आईएसआई अधिकारियों के साथ जैश के आतंकी नेटवर्क के मौलाना अबु जुंदाल और मुफ्ती तौसीफ शामिल थे.

प्रारंभिक योजना के बाद, जैश की शकरगढ़ इकाई को आतंकवादियों के चयन और उनके प्रशिक्षण सहित अंतिम तैयारियों को पूरा करने का काम सौंपा गया था. चार आतंकवादियों ने आत्मघाती हमले का प्रशिक्षण प्राप्त किया और कश्मीर घाटी में भारतीय चौकियों को अधिकतम संभावित नुकसान पहुंचाने के लिए उपलब्ध गोलाबारी का उपयोग करने के लिए अभ्यास भी किया. 

जैश के आतंकवादियों ने सांबा सेक्टर में भारतीय सीमा में घुसने के लिए नदी के किनारे के क्षेत्र में नौलों के नेटवर्क का इस्तेमाल किया और जम्मू संभाग के कठुआ की ओर सांबा से जाटवाल छह किलोमीटर दूर एक ट्रक में ले जाया गया. सूत्रों ने कहा कि जैश की घुसपैठ की ज्यादातर कोशिशें इसी सेक्टर में इसी तरह के रास्तों का इस्तेमाल करते हुए रात के 3-4 बजे के आसपास की गई हैं.

पाकिस्तान के शकरगढ़ में जसीह आतंकी प्रशिक्षण शिविर हवाई दूरी के लिहाज से पिकअप प्वाइंट से लगभग 30 किलोमीटर दूर है.

जैसे ही आतंकवादियों ने भारतीय क्षेत्र में प्रवेश किया, वे लगातार अब्दुल रऊफ असगर के साथ संपर्क में थे और कश्मीर में मुहम्मद असगर खान कश्मीरी सहित हैंडलर थे, जो कश्मीर घाटी में जैश का ऑपरेशनल कमांडर है.

जब जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों ने सुबह 4.45 बजे बान टोल प्लाजा के आसपास सैनिकों द्वारा ट्रक को रोक दिया गया, तो चालक अंधेरे की ओर भाग गया, जबकि सेब के ट्रक में छिपे आतंकी घबरा गए और मुठभेड़ शुरू हो गई.

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आतंकवादी अल्लाह-ओ-अकबर, इस्लाम जिंदाबाद, पाकिस्तान जिंदाबाद और जसीह जिंदाबाद के नारे लगा रहे थे, जब उन्हें कई अपील के माध्यम से सुरक्षा बलों द्वारा आत्मसमर्पण करने के लिए कहा गया. लेकिन वो नहीं सामने आए, उन्होंने कहा कि वो भारतीय जमीन पर मरने के लिए आए हैं. 

उनके पास से 11 AK राइफल, 23 ​​मैगजीन, 29 ग्रेनेड, 10 अंडर बैरल ग्रेनेड लांचर समेत सभी तरह के हथियारों का एक बड़ा जखीरा बरामद किया गया था, जो सभी आतंकवादियों के लिए एक ही समय में ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम और डेको घड़ियों के साथ थे.