SC में रोहिंग्या मसले पर 21 नवंबर तक के लिए टल गई सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट में आज रोहिंग्या मुस्लिमों की याचिका पर सुनवाई होगी। देश में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों ने केंद्र सरकार के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें उन्हें भारत से वापस भेजने के लिए कहा गया है।
highlights
- सुप्रीम कोर्ट में आज रोहिंग्या मुस्लिमों की याचिका पर सुनवाई होगी
- देश में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों ने केंद्र सरकार के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है
- चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा सहित तीन जजों की बेंच रोहिंग्या शरणार्थियों की याचिका पर सुनवाई करेगी
नई दिल्ली:
रोहिंग्या मसले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 21 नवंबर तक के लिए टल गई है। इस बीच कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को किसी भी आपात स्थिति में उसके पास आने के लिए छूट दी है।
देश में रह रहे रोहिंग्या शरणार्थियों ने केंद्र सरकार के उस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें उन्हें भारत से वापस भेजने के लिए कहा गया है।
सुप्रीम कोर्ट की इस अहम सुनवाई से पहले देश के नामचीन 51 बुद्धिजीवियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखकर म्यांमार में जारी हिंसा के बीच रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस नहीं भेजे जाने की अपील की है।
देश के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े 51 लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे खुले खत पर हस्ताक्षर किये हैं। इनमें कांग्रेस के सांसद शशि थरूर, योगेंद्र यादव, प्रशांत भूषण, पूर्व गृहमंत्री जीके पिल्लई, पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम, ऐक्टिविस्ट तीस्ता शीतलवाड़, पत्रकार करन थापर, सागरिका घोष, के अलावा अभिनेत्री स्वरा भास्कर के नाम शामिल हैं।
पत्र में कहा गया है, 'रोहिंग्या शरणार्थियों को भेजने के पीछे ये तर्क देना कि आने वाले समय में वो देश की सुरक्षा के लिये खतरा हो सकते हैं उसका तर्क ही गलत है। ऐसा ककुछ भी नहीं है और इसके पीछ जो तथ्य दिये जा रहे हैं वो आधारहीन हैं।'
51 बुद्धिजीवियों का पीएम मोदी को खुला पत्र, कहा- रोहिंग्या शरणार्थियों को वापस न भेजें
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा सहित तीन जजों की बेंच रोहिंग्या शरणार्थियों की याचिका पर सुनवाई करेगी। बेंच में जस्टिस ए एम खानविलकर और डी वाई चंद्रचूड़ भी शामिल हैं। बेंच रोहिंग्या से जुड़े मुख्य पहलू पर सुनवाई होने जा रही है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने रोहिंग्या को देश से बाहर भेजे जाने के मामले को न्यायपालिका के क्षेत्राधिकार से बाहर बताते हुए इसे कार्यपालिका पर छोड़ देने की अपील की है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दो रोहिंग्या मुस्लिमों को कोर्ट में भावनात्मक तर्क देने से बचने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने इस मामले में अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन से जुड़े दस्तावेज समेत अन्य कागजात पेश करने का निर्देश दिया था।
कोर्ट साफ कर चुका है कि वह इस मामले में केवल कानूनी पहलुओं पर विचार करेगा, क्योंकि मामला मानवीय संकट से जुड़ा है।
मोहम्मद सलीमुल्लाह और मोहम्मद शाकिर ने सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के रोहिंग्या को देश से बाहर निकाले जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। दोनों म्यामांर से भाग कर भारत में शरण लिए हुए हैं। म्यांमार के राखाइन में जारी हिंसा की वजह से करीब चार लाख से अधिक रोहिंग्या को देश छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
भारत में रोहिंग्या जम्मू, हैदराबाद, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली-एनसीआर और राजस्थान में रह रहे हैं।
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