इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार, 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों से पहले केंद्र को राहत
केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया है. एक अप्रैल को जारी होने वाले इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है.
नई दिल्ली:
केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने केंद्र सरकार को राहत देते हुए एक अप्रैल को जारी होने वाले इलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि 2018 से ये इलेक्ट्रोल बॉन्ड की स्कीम लागू है. इसके बाद 2018, 19, 20 में बिक्री होती रही है. अभी रोक लगाने का कोई औचित्य नजर नहीं आता है. चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वह चुनावी बॉन्ड योजना का समर्थन करता है क्योंकि अगर ये नहीं होगा तो राजनीतिक पार्टियों को चंदा कैश में मिलेगा. हालांकि वह चुनावी बॉन्ड योजना में और पारदर्शिता चाहता है.
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याचिका पर प्रशांत भूषण ने कहा था इलेक्टोरल बॉन्ड्स तो सत्ताधारी दल को चंदे के नाम पर रिश्वत देकर अपने काम कराने का जरिया बन गया है. सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा था कि हमेशा यह रिश्वत का चंदा सत्ताधारी दल को ही नहीं बल्कि उस दल को भी मिलता है जिसके अगली बार सत्ता में आने के आसार प्रबल रहते हैं. प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ ने अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल से कहा था कि सरकार को चुनावी बॉन्ड के जरिए प्राप्त धन के आतंकवाद जैसे अवैध कार्यों में दुरुपयोग की संभावना के मामले पर गौर करना चाहिए. न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन भी इस पीठ में शामिल हैं. पीठ ने कहा था कि इस धन का इस्तेमाल कैसे होता है, इस पर सरकार का क्या नियंत्रण है?
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सुप्रीम कोर्ट ने सुरक्षित रखा था फैसला
एक एनजीओ ने न्यायालय में मंगलवार को एक याचिका दाखिल कर केंद्र और अन्य पक्षों को यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि राजनीतिक दलों के वित्तपोषण और उनके खातों में पारदर्शिता की कथित कमी से संबंधित एक मामले के लंबित रहने के दौरान और आगामी विधानसभा चुनाव से पहले चुनावी बॉन्ड की आगे और बिक्री की अनुमति नहीं दी जाए. पीठ ने कहा था कि राजनीतिक दल अपने राजनीतिक एजेंडे से परे की गतिविधियों के लिए इन निधियों का इस्तेमाल कर सकते हैं. यदि राजनीतिक दल 100 करोड़ रुपए के चुनावी बॉन्ड हासिल करते हैं, तो इस बात का क्या भरोसा है कि इसे किसी अवैध मकसद या हिंसात्मक गतिविधियों को मदद देने में इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. उसने साथ ही कहा था कि वह राजनीति में दखल नहीं देना चाहती और ये टिप्पणियां किसी विशेष राजनीतिक दल के लिए नहीं की गई हैं.
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