सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की वैक्सीनेशन नीति पर उठाए सवाल, ग्रामीण इलाकों को लेकर भी बड़ी बात बोली
सुप्रीम कोर्ट ने ग्रामीणों इलाकों में वैक्सीनेशन को लेकर भी बड़ी बात कही है. कोर्ट ने साफ शब्दों में यह भी कहा है कि सरकार वैक्सीनेशन नीति में सुधार करे.
highlights
- कोविड प्रबंधन पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई
- सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से मांगा हलफनामा
- वैक्सीनेशन नीति पर फिर उठाए सवाल
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की वैक्सीनेशन नीति पर फिर सवाल उठाए हैं तो वैक्सीन की अलग अलग कीमत को लेकर भी सरकार से जवाब मांगा है. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ग्रामीणों इलाकों में वैक्सीनेशन को लेकर भी बड़ी बात कही है. कोर्ट ने साफ शब्दों में यह भी कहा है कि सरकार वैक्सीनेशन नीति में सुधार करे. अगर हम किसी गलत को सुधारने के लिए तैयार हो जाते हैं तो ये कमजोरी की नहीं, मजबूती की निशानी है. कोर्ट ने सरकार से पॉलिसी डॉक्यूमेंट और उस नीति के पीछे की वजह स्पष्ट करने वाला हलफनामा भी मांगा है.
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देश में कोविड प्रबंधन के मसले पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने बताया कि इस साल के अंत तक 18 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को वैक्सीन लग जाएगी. घरेलू वैक्सीन मैन्युफैक्चर्स और स्पूतनिक के जरिये ये लक्ष्य पूरा हो पाएगा. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर वैक्सीनेशन नीति पर सवाल उठाए. कोर्ट ने कहा कि 45 साल से ज़्यादा उम्र वालों के लिए केंद्र, राज्यों को वैक्सीन उपलब्ध करा रहा है. फिर 18-45 वालों के लिए वैक्सीनेशन राज्यों पर क्यों छोड़ दिया.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों दोनों के वैक्सीन को हासिल करने के लिए दी जा रही अलग अलग कीमत पर भी सवाल उठाए. कोर्ट ने कहा कि केंद्र चूंकि ज़्यादा मात्रा में वैक्सीन ले रहा है तो उसे कम कीमत देनी पड़ रही है, लेकिन राज्य ज़्यादा क़ीमत क्यों दे. पूरे देश में वैक्सीन की एक कीमत होनी चाहिए. इस दौरान कोर्ट ने कहा कि आपने 18-45 वालों के वैक्सीन के लिए राज्यों पर छोड दिया. कई राज्यों के पास सीमित संसाधन है. अगर केंद्र 45 से ज्यादा उम्र के लोगों पर ज़्यादा खतरा मानते हुए उनके लिए टीका दे सकता है तो बहुत गरीब तबके के लिए क्यों नहीं सकता. ये लोग खुद वैक्सीन नहीं खरीद सकते. सवाल ये भी है कि निरक्षर/गरीब कैसे कोविन एप के जरिए खुद को रजिस्टर करेंगे.
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इस पर भारत सरकार की ओर से सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जिन लोग के पास मोबाइल नहीं है, गांव में रहते है, सेंटर पर जाकर रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं. इस पर कोर्ट ने कहा कि आप डिजिटल इंडिया की बात करते हैं, लेकिन गांवों में डिजिटल साक्षरता नहीं है. ई कमेटी का चेयरपर्सन होने के नाते मैं इसे बखूबी समझता हूं. आप जमीनी हकीकत को समझने की कोशिश कीजिए. कोर्ट ने कहा कि झारखंड के गांव में रहने वाला मजदूर जो राजस्थान गया है, वो सेंटर जाएगा. प्रवासी मजदुरों के लिए आपके पास क्या प्लान है. आप अपनी पूरी पॉलिसी हमारे सामने रखिए.
जस्टिस भट्ट ने कहा कि उन्हें कोची, बंगलुरू से कॉल आ रहे हैं कि महज 2 मिनट में स्लॉट बुक हो रहे हैं. इसके बाद एमिकस जयदीप गुप्ता ने कहा कि केंद्र की नीयत पर शक नहीं है, लेकिन वैक्सीन पॉलिसी में राज्यों को सीधे डील करने के लिए कहने से दिक्कत पैदा कर रहा है. एमिकस क्युरी ने कहा कि अगर स्पुतनिक को भी शामिल कर लिया जाए तो भी 15 करोड़ ही हर महीने वैक्सीन उपलब्ध हो पाएगी. लिहाजा इस साल तक वैक्सीनेशन का लक्ष्य पूरा हो पाएगा, मुश्किल है.
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इस पर SG तुषार मेहता ने उन्हें टोकते हुए कहा कि इस बारे में मेरे हलफनामे का इंतजार कीजिए. कोर्ट ने कहा कि सरकार के वैक्सीनेशन नीति में ग्रामीण इलाके उपेक्षित रह गए हैं. 75 फीसदी वैक्सीनेशन शहरी इलाकों में हो रहा है. कोर्ट ने कहा कि सरकार वैक्सीनेशन नीति में सुधार करे. अगर हम किसी गलत को सुधारने के लिए तैयार हो जाते है तो ये कमज़ोरी की नहीं, मजबूती की निशानी है. कोर्ट में जिरह का मकसद सार्थक संवाद है. हम ख़ुद अपनी ओर से कोई पॉलिसी नहीं बना रहे. हमें पता है कि विदेश मंत्री आवश्यक चीजों के इंतजाम के लिए अमेरिका गए. यह स्थिति की गंभीरता को दिखाता है.
कोर्ट ने सरकार से पॉलिसी डॉक्यूमेंट और उस नीति के पीछे की वजह स्पष्ट करने वाला हलफनामा मांगा. सॉलिसीटर जनरल ने कहा कि खुद पीएम ने भी कई देशों से बात की है. सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने बलरामपुर की घटना का भी जिक्र किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कल एक न्यूज रिपोर्ट में दिखाया गया कि कैसे एक मृत शरीरों बॉडीज को नदी में फेंका गया. जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि मुझे नहीं मालूम कि न्यूज चैनल के खिलाफ अभी तक देशद्रोह का मुकदमा दायर हुआ है या नहीं.
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