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SC ने केंद्र से पूछा... क्या दोषी नेताओं को चुनाव लड़ने से रोकने को तैयार?

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच के सामने इलाहाबाद हाई कोर्ट के नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई.

Updated on: 25 Nov 2021, 09:26 AM

highlights

  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आदेश की गलत व्याख्या की
  • स्पेशल मजिस्ट्रेट कोर्ट के गठन के बजाय सेशन कोर्ट का गठन हुआ
  • सुप्रीम कोर्ट ने साथ ही केंद्र सरकार पर दोषी नेताओं का डाला जिम्मा

नई दिल्ली:

दोषी नेताओं के चुनाव लड़ने से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से ही सीधे-सीधे सवाल पूछ लिया है. इसके साथ ही वर्तमान और निवर्तमान सांसद-विधायक खिलाफ मामलों के ट्रायल के लिए मजिस्ट्रेट कोर्ट गठित नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से कहा है कि वह स्पेशल मजिस्ट्रेट कोर्ट का गठन करें. इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले की गलत व्याख्या करने पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सिर्फ स्पेशल सेशन कोर्ट का गठन किया है, जबकि मजिस्ट्रेट कोर्ट का गठन नहीं किया गया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हमारा आदेश साफ था कि जहां भी जरूरत है वहां मजिस्ट्रेट कोर्ट और सेशन कोर्ट का गठन किया जाए. जाहिर है कि इन स्पेशल कोर्ट में वर्तमान-निवर्तमान सांसदों और निधायकों के पेंडिंग केस का ट्रायल चलना है.

सपा सांसद ने दी थी नोटिफिकेशन को चुनौती
जानकारी के मुताबिक इस मामले में सपा सांसद आजम खान की ओर से अर्जी दाखिल की गई थी और हाई कोर्ट के उस नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई थी जिसमें मजिस्ट्रेट कोर्ट में सांसदों और एमएलए के केसों को सेशन कोर्ट में ट्रांसफर करने का आदेश दिया गया. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस सूर्यकांत की बेंच के सामने इलाहाबाद हाई कोर्ट के नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई. आजम खान की ओर से नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई और कहा गया कि मजिस्ट्रेट कोर्ट में जिन मामलों का ट्रायल होना चाहिए उसका ट्रायल सेशन कोर्ट में हो रहा है और यह कानूनी प्रावधानों के सिद्धांत का उल्लंघन है. इस पर जब सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया तो इलाहाबाद हाई कोर्ट के वकील ने कहा कि सीटिंग व पूर्व एमएलए और एमपी के मामलों के ट्रायल के लिए सेशन कोर्ट का गठन हुआ है. स्पेशल मजिस्ट्रेट कोर्ट का गठन नहीं हुआ है.

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा आदेश की गलत व्याख्या की गई
कारण पूछे जाने पर वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत ही सेशन कोर्ट का गठन हुआ है. इस पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हमारे आदेश की गलत व्याख्या की है. हमें पता है कि हमारा आदेश क्या है. हमने कहा था कि जहां भी मजिस्ट्रेट और सेशन कोर्ट के गठन की जरूरत हो वहां स्पेशल मजिस्ट्रेट और सेशन कोर्ट का गठन हो. इस दौरान शीर्ष अदालत ने कोर्ट सलाहकार से पूछा कि अन्य राज्यों में क्या स्थिति है. तब कोर्ट सलाहकार ने बतााय कि कई अन्य राज्यों में सेशन और मजिस्ट्रेट कोर्ट का गठन हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल से सवाल किया कि क्या दोषी ठहराए जा चुके नेताओं को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए आप तैयार हैं? इस मामले में केंद्र का क्या स्टैंड है?