अगर आप कोविड के चलते अनाथ हुए किसी बच्चे को गोद लेने की सोच रहे है तो ये ख़बर आपके लिये है. ऐसा करने की पीछे आपकी मंशा भले ही अच्छी हो,पर बिना तय क़ानूनी प्रकिया को ऐसा करना और किसी एनजीओ के मार्फ़त बच्चे को गोद लेना आपको मुश्किल में डाल सकता है. आज सुप्रीम कोर्ट ने कोविड के चलते अनाथ हुए बच्चो के ग़ैरकानूनी एडॉप्शन की प्रकिया पर सख्त नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने एडॉप्शन विज्ञापनो और ऐसे बच्चों की तस्वीरें प्रकाशित कर आर्थिक मदद मांगने वाले एनजीओ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि वह ऐसे एनजीओ के खिलाफ कड़ी दंडात्मक कार्यवाही करें. कोर्ट ने यह भी कहा की अनाथ हुए बच्चों को गोद लेने की किसी भी प्रक्रिया में सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी का शामिल होना जरूरी है. जूविनाइल जस्टिस एक्ट के प्रावधानों के विपरीत किसी भी तरह का ऐडऑप्शन गैर कानूनी है. राज्य सरकारें इस संबंध में आवश्यक जानकारी भी प्रकाशित करें.
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दरअसल सुप्रीम कोर्ट आजकल अनाथ हुए बच्चों की देख रेख और पुनर्वास से जुड़े मामलों का स्वत संज्ञान लेते हुए सुनवाई कर रहा है. सुनवाई के एनसीपीसीआर ने कोर्ट को बताया कि कुछ बेईमान संगठन और व्यक्ति अवैध रूप से गोद लेने में लिप्त हैं और धन की मांग के लिए सार्वजनिक विज्ञापन प्रकाशित कर रहे हैं.
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कोरोना के चलते 30 हज़ार से ज़्यादा बच्चे अनाथ या लावारिस हुए
NCPCR की ओर से कोर्ट की दी गई जानकारी के मुताबिक कोरोना के चलते 30,071 बच्चे या तो अनाथ हो गए है या फिर लावारिस हो गए. इनमे से 3621 बच्चों ने अपने मातापिता दोनों को खो दिया,26176 बच्चो ने माता पिता में से किसी एक को खो दिया,जबकि 274 बच्चे लावारिस हो गए.
HIGHLIGHTS
- SC ने कोविड के चलते अनाथ हुए बच्चो के ग़ैरकानूनी एडॉप्शन की प्रकिया पर सख्त नाराजगी जाहिर की
- जूविनाइल जस्टिस एक्ट के प्रावधानों के विपरीत किसी भी तरह का ऐडऑप्शन गैर कानूनी है
- राज्य सरकारें इस संबंध में आवश्यक जानकारी भी प्रकाशित करें
Source : News Nation Bureau