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बंगाल हिंसा की SIT जांच को लेकर SC का ममता सरकार और केंद्र को नोटिस( Photo Credit : फाइल फोटो)
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बंगाल हिंसा की SIT जांच को लेकर SC का ममता सरकार और केंद्र को नोटिस( Photo Credit : फाइल फोटो)
पश्चिम बंगाल ( West Bengal ) में चुनाव के बाद हुई हिंसा की SIT जांच और लोगों को सुरक्षा देने के लिए दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य की ममता सरकार और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग और अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग को पक्षकार बनाने की अनुमति दी है. सुप्रीम कोर्ट में यह याचिका हिंसा के शिकार कुछ लोग और सामाजिक कार्यकताओं की ओर से दायर की गई है. बता दें कि बंगाल में विधानसभा चुनाव ( Assembly Elections ) के नतीजे आने के बाद जमकर राजनीतिक हिंसा हुई थी.
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सुप्रीम कोर्ट में हिंसा का शिकार कुछ लोग और सामाजिक कार्यकताओं ने याचिका में कहा कि TMC की जीत के बाद बंगाल से करीब 1 लाख लोगों को पलायन करना पड़ा. उनकी संपत्ति को नुकसान, महिलाओं के साथ यौन हिंसा हो रही हैं. जिस पर आज सुनवाई करते हुए बंगाल सरकार के साथ सुप्रीम कोर्ट ने ममता सरकार को भी नोटिस भेजा है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट अगले फिर हफ्ते सुनवाई करेगा.
सुप्रीम कोर्ट में बंगाल हिंसा की जांच को लेकर ऐसे समय में सुनवाई हो रही है, जब तमाम सेवानिवृत्त अधिकारियों और महिला वकीलों ने बीते दिन ही जांच की मांग करते हुए पत्र लिखे हैं. सोमवार को सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, सिविल और पुलिस सेवाओं के वरिष्ठ अधिकारियों, राजदूतों और सशस्त्र बलों के वरिष्ठ अधिकारियों के एक मंच ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पश्चिम बंगाल में हालिया राजनीतिक हिंसा को लेकर एक पत्र लिखा. इस ज्ञापन पर 146 सेवानिवृत्त व्यक्तियों ने हस्ताक्षर किए हैं, जिनमें 17 न्यायाधीश, 63 नौकरशाह, 10 राजदूत और 56 सशस्त्र बल अधिकारी शामिल हैं. ज्ञापन में हिंसा की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में एक विशेष जांच दल (एसआईटी) बनाने की मांग की गई.
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इसके अलावा बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा का मुद्दा देशभर से 2,093 महिला वकीलों ने भी उठाया. सोमवार को इन्होंने भारत के प्रधान न्यायाधीश एनवी रमना को पत्र लिखकर चुनाव के बाद हुए खूनखराबे की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन की मांग की. पत्र में पीड़ितों की शिकायतें दर्ज करने के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस के बाहर के किसी अधिकारी को नोडल अधिकारी भी बनाने की मांग की गई. साथ ही वकीलों ने शीर्ष अदालत से असम, बिहार, ओडिशा और झारखंड के डीजीपी को अपने-अपने राज्यों में शरण लिए हुए लोगों के संबंध में पूरा डेटा तैयार करने का निर्देश देने का आग्रह किया.
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