नोएडा अथॉरिटी की CEO रितु माहेश्वरी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टली
नोएडा अथॉरिटी ( Noida Authority ) की सीईओ रितु माहेश्वरी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुक्रवार तक के लिए टल गई है. रितु माहेश्वरी को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से मिली अंतरिम राहत शुक्रवार तक जारी रहेगी
highlights
- रितु माहेश्वरी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुक्रवार तक टली
- सुप्रीम कोर्ट में माहेश्वरी की याचिका पर उचित बेंच सुनवाई करेगी
- जस्टिस नज़ीर की पीठ ने कहा कि इस मामले की सुनवाई नहीं करेगी
New Delhi:
नोएडा अथॉरिटी ( Noida Authority ) की सीईओ रितु माहेश्वरी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुक्रवार तक के लिए टल गई है. रितु माहेश्वरी को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से मिली अंतरिम राहत शुक्रवार तक जारी रहेगी. सुप्रीम कोर्ट में माहेश्वरी की याचिका पर उचित बेंच करेगी सुनवाई. कोर्ट में याचिकाकर्ता के वकील विकास सिंह ने कहा था कि मामले में सुनवाई के बिना ही HC के आदेश पर रोक लगा दी गई है. माहेश्वरी को मिली अंतरिम राहत पर रोक लगाई जाए. सुप्रीम कोर्ट ने रितु माहेश्वरी को मिली अंतरिम राहत पर रोक लगाने से इनकार कर दिया.
Supreme Court extends interim order on stay on non-bailable warrant issued by Allahabad High Court against Noida Chief Executive Officer (CEO) & IAS officer Ritu Maheshwari till Friday, May 13. SC adjourns the matter for Friday, May 13. SC asks to list it before appropriate bench pic.twitter.com/5rRhEf9nvv
— ANI (@ANI) May 11, 2022
जस्टिस नज़ीर की पीठ ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई नहीं करेगी. अब मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर शुक्रवार को उचित बेंच सुनवाई करेगी. इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रितु माहेश्वरी के खिलाफ अवमानना मामले में पेश नहीं होने पर गैर ज़मानती वारंट जारी किया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आप हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं करते तो आपको इसका नतीजा झेलना होगा.
क्या है पूरा मामला
दरअसल, नोएडा के सेक्टर-82 में अथॉरिटी ने 30 नवंबर 1989 और 16 जून 1990 को 'अर्जेंसी क्लॉज' के तहत भूमि अधिग्रहण किया था. जिसे जमीन की मालकिन मनोरमा कुच्छल ने चुनौती दी थी. वर्ष 1990 में दायर मनोरमा की याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 19 दिसंबर 2016 को फैसला सुनाया था. हाईकोर्ट ने 'अर्जेंसी क्लॉज' के तहत किए गए भूमि अधिग्रहण को रद्द कर दिया था. मनोरमा को नए भूमि अधिग्रहण अधिनियम के तहत सर्किल रेट से दोगुनी दरों पर मुआवजा देने का आदेश दिया था. इसके अलावा प्रत्येक याचिका पर 5-5 लाख रुपये का खर्च आंकते हुए भरपाई करने का आदेश प्राधिकरण को सुनाया था.
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