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सुपरटेक के ट्विन टॉवर को गिराने की तारीख हुई तय

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नोएडा में सुपरटेक द्वारा बनाए गए दो 40 मंजिला टावरों को गिराने का काम दो सप्ताह में शुरू करने का आदेश जारी किया था.

Updated on: 11 Feb 2022, 12:33 PM

highlights

  • सुपरटेक के पास की दोनों सोसायटी का 100 करोड़ रुपये का बीमा कराया जाएगा
  • 20 फरवरी से 22 मई तक टॉवर टूटेंगे और 22 अगस्त तक मलबा हटाया जाएगा

नोएडा:

सुपरटेक (Supertech) बिल्डर द्वारा अवैध रूप से बनाये गए ट्विन टॉवर को ध्वस्त करने की तारीख तय हो गई है. नोएडा प्राधिकरण की सीईओ ऋतु माहेश्वरी ने टॉवर गिरने वाली कंपनी और NOC देने वाले करीब 10 विभागों के अधिकारियों से साथ मीटिंग की है. सुप्रीम कोर्ट ने मीटिंग कर टॉवर ध्वस्त करने की समय सीमा तय करने का आदेश दिया था. 20 फरवरी से 22 मई तक टॉवर टूट चुके होंगे और टॉवर तोड़ने के बाद 22 अगस्त तक मलबा हटाने का काम होगा. टॉवर के पास में मौजूद दो सोसायटी टॉवर गिराते वक्त खाली कराई जाएगी. वहीं पास की दोनों सोसायटी का 100 करोड़ रुपये का बीमा कराया जाएगा. विशेषज्ञों की देख रेख में विस्पोटक लगाया जाएगा. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को नोएडा में सुपरटेक द्वारा बनाए गए दो 40 मंजिला टावरों को गिराने का काम दो सप्ताह में शुरू करने का आदेश जारी किया था. न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ ने नोएडा के सीईओ को दो सप्ताह के भीतर विध्वंस का काम शुरू करने का निर्देश दिया और साथ ही गेल सहित सभी संबंधित एजेंसियों के साथ 72 घंटे के भीतर एक बैठक बुलाकर कार्यक्रम और विध्वंस की तारीखों को अंतिम रूप देने का कहा गया है.

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शीर्ष अदालत को सूचित किया गया था कि गेल की एनओसी की आवश्यकता है, क्योंकि वहां एक उच्च दबाव वाली भूमिगत प्राकृतिक गैस पाइपलाइन है, जो संबंधित स्थल से 15 मीटर की दूरी और 3 मीटर की गहराई से गुजर रही है. अदालत को यह भी सूचित किया गया था कि रक्षा मंत्रालय विध्वंस के लिए विस्फोटक प्रदान करेगा. अपने 31 अगस्त के फैसले में, सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा में सुपरटेक ट्विन टावरों के विध्वंस और फ्लैट खरीदारों के लिए रिफंड के आदेश के अलावा, उत्तर प्रदेश शहरी विकास (यूपीयूडी) अधिनियम की धारा 49 के तहत दोषी नोएडा और रियल एस्टेट कंपनी के अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने का आदेश दिया. अदालत ने यह फैसला अधिकारियों की नापाक मिलीभगत को देखते हुए लिया था, जिसके परिणामस्वरूप टावरों का निर्माण हुआ.

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17 जनवरी को, नोएडा का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता रवींद्र कुमार ने न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ और सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष प्रस्तुत किया कि विध्वंस एजेंसी, एडिफिस इंजीनियरिंग को टावरों के विध्वंस को अंजाम देने के लिए अंतिम रूप दिया गया है. सुपरटेक का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता पराग त्रिपाठी ने प्रस्तुत किया कि उनके मुवक्किल को विध्वंस प्रक्रिया के संबंध में अनिवार्य अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) प्राप्त करने के लिए अतिरिक्त दो सप्ताह की आवश्यकता होगी.

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उदाहरण के लिए बताया गया कि टावर्स को गिराने के लिए विस्फोटकों को स्टोर करने को लेकर अग्निशमन विभाग से एनओसी की भी जरूरत है. त्रिपाठी का विरोध करते हुए, कुमार ने कहा कि रियल एस्टेट फर्म विध्वंस एजेंसी के साथ समझौते पर हस्ताक्षर कर सकती है और एनओसी प्राप्त करने की प्रक्रिया जारी रह सकती है. उन्होंने कहा कि समझौते पर हस्ताक्षर करने के लिए एक सप्ताह पर्याप्त है. दलीलें सुनने के बाद, शीर्ष अदालत ने सुपरटेक को एक सप्ताह के भीतर प्राधिकरण एजेंसी द्वारा अंतिम रूप दिए गए भवन विध्वंस के साथ समझौते को निष्पादित करने के लिए कहा, ताकि इसके दो 40-मंजिला टावरों को गिराया जा सके. -इनपुट एजेंसी